- पीयूष द्विवेदी भारत
आईनेक्स्ट |
डीएनए |
बेशक शांति से किसीको परहेज
नही हो सकता, पर अगर वो राष्ट्र की संप्रभुता की कीमत पर मिल रही हो तो उसे
दरकिनार कर देना ही उचित है ! यहाँ तो स्थिति और भी विषम और दुर्भाग्यपूर्ण है ! कारण
कि यहाँ राष्ट्र की संप्रभुता भी जा रही है और शांति का भी दूर-दूर तक कोई पता नही
है ! इसीके साथ एक और बात कि युद्ध निश्चित ही कोई विकल्प नही हो सकता ! पर इसका ये
भी मतलब नही कि अपनी आत्मरक्षा भी न की जाए ! भारत के साथ यही समस्या है कि वो
शांति के अपने सनातन सिद्धांत में इस कदर ओतप्रोत है कि उसे अपनी आत्मरक्षा करने
तक का भान नही है ! लिहाजा पाक जैसा देश जो भारत के समक्ष किसी भी दृष्टि से नही
ठहरता, भारत के सिर पर चढ़ा हुआ है ! उसके सैनिक बार-बार सीजफायर का उल्लंघन करके हमारे
सैनिको पर फायरिंग करते हैं, अक्सर हमारी सीमा में घुस आते हैं, हमारे सैनिकों का
सिर तक काट के ले जाते हैं और हम चंद बयानों और निंदाओ के सिवा कुछ नही कर पाते ! क्यों
? इस क्यों का सिर्फ यही उत्तर है कि उन्हें पता है कि भारतीय हुकूमत के पास
उन्हें रोकने या उनका मुहतोड़ जवाब देने की इच्छाशक्ति नही है ! भारत सरकार को
सिर्फ निंदा करना और विरोध दर्ज कराना आता है ! इसके अतिरिक्त जमीनी स्तर पर भारत
सरकार कुछ नही कर सकती ! इसी संदर्भ में किसी विद्वान का ये कथन उल्लेखनीय होगा कि
कोई सिद्धांत जब राष्ट्र से बड़ा हो जाए, तो ये उस राष्ट्र के भीषण अहित का ही
द्योतक होता है ! वर्तमान में भारत के साथ लगभग यही स्थिति है ! आज भारतीय दर्शन
से प्रेरित शांति और प्रेम का सिद्धांत शायद हमारे सियासी हुक्मरानों के लिए
राष्ट्र से ऊपर जा चुका है और इसी कारण वो शांति के अन्धोत्साह में किसी भी हद तक
जाने और कोई भी समझौता करने को तैयार नजर आ रहे हैं ! अगर ऐसा नही होता तो
पाकिस्तान, जिससे हरबार हमें सिर्फ धोखा मिला है, से बातचीत अब भी बातचीत जारी
रखने का क्या मतलब था ! कुल मिलाकर ये कहना गलत नही होगा कि वर्तमान में सरकार
द्वारा पाकिस्तान के प्रति जो नीतियां अपनाई जा रही हैं, अगर समय रहते उनमे ठोस
परिवर्तन नही किया गया तो ये राष्ट्र की सुरक्षा के लिए बहुत ही चिंताप्रद हो सकता
है !
पाकिस्तान के प्रति हमारी
विदेश नीति के संदर्भ में आज पहली जरूरत तो इस बात की है कि हम अपनी नीतिया बिना
किसी लांग-लपेट के स्पष्ट रखें ! हमें ये साफ़ कर देना चाहिए कि जबतक पाकिस्तान
अपने जमीन से हमारे खिलाफ चल रही आतंकी गतिविधियों पर लगाम नही लगाता, जबतक २६/११
के मुख्य आरोपी हाफिज सईद के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नही करता, तबतक उससे कोई
संबंध नही रखा जाएगा ! जैसा कि सर्वविदित है कि पाकिस्तान में तमाम आतंकी
प्रशिक्षण शिविर सतत गतिशील हैं ! ऐसे में इसपर भारत को पाकिस्तान से स्पष्ट कहना
चाहिए कि पाकिस्तान स्वयं उन आतंकी
शिविरों को सैन्य कार्रवाई के द्वारा या जैसे भी हो जल्द से जल्द नेस्तनाबूद करे, वरना
भारत को अपनी सुरक्षा के लिए उनपर कार्रवाई करनी पड़ेगी ! इन चीजों के साथ ही भारत
को पाकिस्तान के प्रति अपनी विदेश नीति का हिस्सा बन चुके अमेरिका से भी परहेज
करना चाहिए ! क्योंकि, भारत एक सक्षम राष्ट्र है, उसे अपने मामलों में किसीके
हस्तक्षेप की क्या जरूरत ! और वैसे भी, इतिहास गवाह है कि अमेरिका आजतक किसीका नही
हुआ है ! वो जिससे भी जुड़ा निजी हितों के कारण जुड़ा ! भारत-पाक मामले में भी उसकी
यही नीति है ! वो एक तरफ भारत के साथ मधुर संबंध बनाने की बात करता है और दूसरी
तरफ पाकिस्तान को आतंकी विरोधी अभियान के नाम पर हर स्तर पर मदद देता है ! जबकि ये
सर्वस्वीकार्य है कि पाकिस्तान द्वारा अमेरिकी मदद का भारत विरोधी अभियानों में
जमकर इस्तेमाल किया जाता है ! स्वयं अमेरिका द्वारा ये बात कितने बार
स्वीकारी जा चुकी है, पर फिर भी पाकिस्तान
को दी जाने वाली मदद में एक मामूली कटौती के अलावा उसने कभी कुछ नही किया ! अतः इन
सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारत को पाकिस्तान के प्रति अपनी विदेश नीति में व्यापक
बदलाव करने की जरूरत है जिससे कि पाकिस्तान को अपने पर हावी होने से रोका जा सके !
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