शनिवार, 28 सितंबर 2013

सुरक्षा जाँच में आम-खास का भेद क्यों [आईनेक्स्ट इंदौर में प्रकाशित]



  • पीयूष द्विवेदी भारत

आईनेक्स्ट
ब्रिटेन में एक कार्यक्रम के लिए गए बाबा रामदेव को ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा हिथ्रों हवाई अड्डे पर रोककर पूछताछ क्या की गई कि भारत के राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई ! तमाम राजनीतिक दलों द्वारा ब्रिटिश अधिकारियों की इस गतिविधि पर अनेक प्रकार से विरोध जताया गया है ! जहाँ मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इसे अत्यंत गंभीर मुद्दा बताते हुए केन्द्र सरकार को इस विषय में संज्ञान लेने की नसीहत दी है, तो वहीँ सपा के आजम खान द्वारा इसे सुरक्षा के नाम पर भारतीयों का अपमान कहा गया है ! और तो और, खुद बाबा रामदेव की माने तो इसके पीछे उन्हें केन्द्र सरकार की साजिश नज़र आती है ! उनका कहना है कि केन्द्र सरकार ने राजनीतिक रंजिश के चलते इस विषय में ब्रिटिश अधिकारियों गुमराह किया है ! उल्लेखनीय होगा कि इससे पहले भी भारत के कई प्रसिद्ध लोगों के साथ विदेशों में इस तरह की घटनाएँ होती रही हैं ! अधिक पीछे जाने की जरूरत नही है, एक वाकया तो इसी साल अप्रैल का है जब सपा नेता आजम खान को अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने बोस्टन हवाई अड्डे पर पूछताछ के लिए रोक लिया था ! उस समय सपा द्वारा तमाम तरह से इस मामले को राजनीतिक-साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी, पर गनीमत कि इसमे उसे कोई विशेष सफलता नही मिली ! बहरहाल कुल मिलाकर भारतीय व्यवस्था के लिहाज से ये अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे मामलों को हम एक मुल्क द्वारा अपनी सुरक्षा के प्रति गंभीरता बरतने के रूप में देखने की बजाय खुद के मान-अपमान से जोड़कर देखने लगते हैं ! जबकि हमें ये समझना चाहिए कि जो देश अपनी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आम-खास में कोई भेदभाव नही कर रहे, उनकी सुरक्षा व्यवस्था हमारी तुलना में कितनी अधिक मजबूत है ! पर क्या करें हमारी सोच ही ऐसी है और इस सोच के लिए हमारी सुरक्षा व्यवस्था में व्याप्त आम-खास के प्रति दोहरा नजरिया एक प्रमुख कारण है ! इस संदर्भ में थोड़ा विचार करें तो समझ में आता है कि अभी ब्रिटेन के हिथ्रो हवाई अड्डे पर रामदेव को जिस जांच व पूछताछ की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है, उससे आम भारतीयों को अक्सर गुजरना पड़ता होगा ! पर अब जब रामदेव की बात आई तो इसपे बवाला मच गया ! बस यही हमारी समस्या है कि हम हर बात में आम और खास का अंतर पैदा कर बैठे हैं ! हमारे यहाँ सुरक्षा व्यवस्था समेत प्रत्येक व्यवस्था आम और खास के बीच अंतर के आधार पर ही काम करती आयी है और अब भी कर रही है ! हमारा संविधान भले ही संपन्न-विपन्न सबमे हर तरह से समानता बरतने की बात करता हो, पर वर्तमान में और आजाद भारत के इतिहास में भी कभी संविधान में उल्लिखित इस समानता के सिद्धांत का व्यवस्था द्वारा समुचित रूप से पालन किया गया हो, ऐसा नही दिखता ! लिहाजा आम-खास के बीच हर तरह से असमानता प्रदर्शित करने वाली ऐसी व्यवस्था में रहते-रहते हमारे सुरक्षा अधिकारियों से लेकर क़ानून व्यवस्था तक के मन में यही बात बैठ गई है या राजनीतिक महकमे द्वारा बैठा दी गई है कि जो संपन्न और प्रसिद्ध है वो निर्दोष ही होगा ! इस कारण पुलिस समेत हमारी अन्य सुरक्षा एजेंसियां संदेह होने पर भी जल्दी किसी बड़े व्यक्ति पर हाथ नही डालती ! ये एक महत्वपूर्ण कारण है जो हमारी सुरक्षा व्यवस्था को विकसित देशों की सुरक्षा व्यवस्था से काफी पीछे ले जाता है !
  भारत के पूर्व राष्ट्रपति कलाम को को भी एकबार न्यूयार्क हवाई अड्डे पर पूछताछ के लिए रोक लिया गया था ! इस मामले में भी तब बहुत हंगामा मचा था और बेशक अमेरिका द्वारा इसके लिए माफ़ी भी मांगी गई थी ! पर अब यहाँ सवाल ये उठता है कि कलाम जैसे विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति से पूछताछ करने में अगर  अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों को कोई हिचक नही हुई, तो इसके लिए कारण क्या है ? इस सवाल पर विचार करने पर निष्कर्ष ये निकलता है कि अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों के मन में किसी भी आम या खास व्यक्ति के लिए देश की सुरक्षा से समझौता करने की प्रेरणा नही है  ! कारण कि उन्होंने ऐसा कभी किया ही नही है जबकि भारत के सुरक्षा अधिकारी राजनीतिक रौब के कारण हमेशा से खास लोगों के लिए हर तरह से रियायत देने के आदी रहे हैं ! इसी संदर्भ में आजाद भारत के समूचे इतिहास पर एक नजर डालें तो भी शायद ही ऐसा कोई वाकया मिले जिसमे हमारी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किसी विदेशी नेता या प्रसिद्ध व्यक्ति को कहीं पर रोककर कोई पूछताछ की गई हो ! भारतीय सुरक्षा अधिकारियों और अमेरिका, ब्रिटेन आदी देशो के सुरक्षा अधिकारियों के बीच बस इसी सोच का अंतर है और इसीके कारण भारत की सुरक्षा व्यवस्था इन देशों की अपेक्षा काफी पिछड़ी है !
  आज जरूरत इस बात की है कि विदेशी मुल्कों में अपने देश के प्रसिद्ध लोगों के साथ पूछताछ आदि होने पर हो-हल्ला मचाने की बजाय उससे सीख ली जाय ! ऐसी व्यवस्था कायम करने का प्रयास किया जाए कि हमारे सुरक्षा अधिकारियों को किसी भी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति से पूछताछ करने में तनिक भी हिचकिचाहट न हो ! इसके लिए पहली आवश्यकता है कि हमारे सियासी हुक्मरान हमारी सुरक्षा एजेंसियों को इस बात के लिए आश्वस्त करें कि किसी भी आम-खास व्यक्ति के लिए सुरक्षा से समझौता नही किया जाएगा ! चाहें कोई भी हो, सबके साथ समान जांच व पूछताछ होनी चाहिए ! इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध व्यक्तियों व नेताओं आदि को भी चाहिए कि वो पूछताछ होने पर रामदेव और आजम खान जैसों की तरह तिलमिलाने की बजाय सुरक्षा अधिकारियों के साथ सहयोग करें ! इन सारी चीजों का क्रियान्वयन होने पर ही हमें मानना चाहिए कि हाँ हम सही मायने में सुरक्षित हैं !

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