- पीयूष द्विवेदी भारत
राष्ट्रीय सहारा |
वैसे भारत के विज्ञान के क्षेत्र में पिछड़ने के
लिए सिर्फ निवेश की कमी ही कारण नही है ! बल्कि निवेश के बाद तमाम ऐसी नीतिगत
खामियां भी हैं जो हमें विज्ञान के क्षेत्र में लगातार पीछे ले जा रही हैं ! बेशक
वैज्ञानिक क्षेत्र में हमारा निवेश काफी कम है, पर वो जितना भी है उसे कैसे खर्च
किया जाता है ये अत्यंत महत्वपूर्ण है !
आज जहाँ समूची दुनिया द्वारा वैज्ञानिक निवेश का सर्वाधिक ३५ फिसदी हिस्सा आईटी एवं इलेक्ट्रोनिक्स के शोध व
विकास पर खर्च किया जाता है, वहीँ भारत अपने वैज्ञानिक निवेश का सर्वाधिक ३८ फिसदी
हिस्सा दवाईयों के शोध, परीक्षण व विकास आदि पर व्यय करता है ! वैसे इस विषय में
ये तर्क हो सकता है कि हर देश की अपनी-अपनी प्राथमिकताएँ होती हैं, पर ये भी एक
सत्य है कि आज के इस तेज-तरार्र समय में राष्ट्र के तीव्र विकास के लिए आईटी
क्षेत्रों का विकास सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो गया है ! ऐसा कत्तई नही है कि दवाओं के
क्षेत्र में व्यय गलत है, पर प्राथमिकता के लिहाज से इसे सबसे पहले रखने को आज के
दौर के हिसाब से सही नीति भी नही कहा जा सकता ! कुछ समस्या हमारे राजनेताओं की सोच
की भी है ! उदाहरणार्थ अभी हाल ही में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहद कम खर्च वाले
इसरो के मंगलयान पर उन्हें बधाइयाँ तो मिलीं, पर कुछ राजनेताओं द्वारा इसे ‘अत्यधिक
महंगा’ बताने जैसी टिप्पणियां भी की गईं !
इसके अतिरिक्त अगर आपको याद हो तो हमारे राजनीतिक तबके से ऐसी ही कुछ टिप्पणियां
इसरो के ‘चंद्रयान’ मिशन के समय भी आई थीं ! एक तो नेताओं द्वारा वैज्ञानिक
क्षेत्र के लिए बेहद कम धन दिया जाता है, उतने में भी अगर हमारे वैज्ञानिक कुछ
बेहतर करते हैं, तो अगर उन्हें ऐसी टिप्पणियां सुनने को मिलें तो ये उनमे हताशा का
ही संचार करेगा ! बहरहाल, वैज्ञानिक प्रगति के लिए निश्चित ही आज हमारी प्रथम
आवश्यकता यही है कि हमारे सियासी हुक्मरान इस क्षेत्र के प्रति अपना सौतेला नजरिया
बदलते हुए इसमे अधिकाधिक निवेश बढ़ाने का प्रयास करें ! साथ ही, उस निवेश के उपयोग
के लिए पुख्ता नीतियां व उचित प्राथमिकताएँ भी तय की जाएँ ! आखिर में, ऐसा कत्तई
नही है कि इन बातों को अपनाने के बाद हमारी वैज्ञानिक प्रगति बहुत तेज हो जाएगी !
पर इतना जरूर है कि अगर इन सभी बातों का सही ढंग से क्रियान्वयन होता है तो
धीरे-धीरे ही सही हमारी वैज्ञानिक प्रगति सही दिशा में आगे बढ़ने लगेगी !