गुरुवार, 28 जनवरी 2016

दोनों एक दूसरे की ज़रुरत [दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित]

  • पीयूष द्विवेदी भारत 

दैनिक जागरण 
भारत के इस ६७वे गणतंत्र दिवस पर इसबार फ़्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद बतौर मुख्य अतिथि भारत आए। ओलांद तीन दिवसीय भारत दौरे पर आए थे और गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित भी रहे। ओलांद की यह भारत यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, असैन्य परमाणु सहयोग, आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई, परिवहन आदि कुल चौदह क्षेत्रों से सम्बंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा भारत के तीन शहरों को स्मार्ट बनाने में भी फ़्रांस सहयोग करेगा। स्मार्ट शहर पहल के तहत हुए तीन समझौतों में फ्रांस की विकास एजेंसी एएफडी चंडीगढ, नागपुर व पुदुचेरी के विकास के लिए सबंधित सरकारों की मदद करेगी। उद्योग मंडल सीआईआई के अध्यक्ष सुमित मजूमदार के अनुसार ये समझौते तकनीकी सहायता के लिए और इसके तहत फ्रांस के शहरी विकास क्षेत्र विशेषज्ञ इन शहरों में तैनात रहेंगे। ऊर्जा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण समझौता हुआ जिसके तहत फ़्रांसिसी कंपनी गुजरात में नवीन ऊर्जा उद्योग में १५.५ यूरो में आधी हिस्सेदारी खरीदेगी और इसके जरिये १४२ मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। साथ ही फ्रांस की परमाणु व वैकल्पिक उर्जा एजेंसी सीईए और क्रांप्टन ग्रीव्ज (सीजी) के बीच भी आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए जिसके तहत दोनों कम्पनियाँ भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सभावनाएं तलाशेंगी व इसके विकास के लिए काम करेंगी।  इसके अलावा फ्रांस की नौ कंपनियों ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंजीनियरिंग प्रोजेक्टस इंडिया (ईपीआई) लिमिटेड के साथ नयी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग संबंधी समक्षौते किए। भारत के रक्षा  क्षेत्र से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण समझौता राफेल विमानों की खरीद का रहा। चूंकि भारतीय वायुसेना लम्बे समय से लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। इसी कमी को पूरा करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा फ़्रांस की वायुसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले राफेल विमानों में दिलचस्पी दिखाई गई और उसकी खरीद के समझौते पर फ़्रांसिसी राष्ट्रपति की इस यात्रा में हस्ताक्षर हो गया। अब कुछ वित्तीय प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद यह विमान भारतीय वायुसेना को प्राप्त हो जाएंगे। इस समझौते के तहत फ़्रांस भारत को ३६ राफेल विमान सौंपेगा जिसमे कि एक विमान की कीमत लगभग ७० मिलियन है। इस विमान के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद उसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
  उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है कि फ़्रांस के राष्ट्रपति का यह दौरा भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण और लाभकारी रहा। लेकिन इसका यह कत्तई अर्थ नहीं कि भारत ही ज़रूरतमंद है और फ़्रांस को कुछ नहीं मिल रहा बल्कि वस्तुस्थिति तो यह है कि इन समझौतों या सौदों के जरिये भारत को जितना लाभ होगा, उतना या उससे कुछ अधिक ही लाभ फ़्रांस को भी होगा। चूंकि अधिकांश उपर्युक्त समझौते व्यापारिक हैं, इसलिए फ़्रांस से जो चीजें भारत को मिलेंगी और उनके बदले में भारत से मोटी रकम फ़्रांस को प्राप्त होगी। इस नाते ये कहें तो गलत नहीं होगा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में जितनी ज़रुरत भारत को फ़्रांस की है, उससे अधिक ज़रुरत फ़्रांस को भारत की है। इसका कारण यह है कि भारत के पास तो उपर्युक्त व्यापारिक सौदों के लिए फ़्रांस के अतिरिक्त भी रूस, अमेरिका, जापान आदि कई विकल्प मौजूद हैं और भारत कमोबेश इनसे व्यापारिक समझौते किया हुआ भी है, लेकिन फ़्रांस को भारत जैसा बाजार और कहीं नहीं मिलेगा। इस बात को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत-फ़्रांस सीईओ सम्मेलन में कही गई इस बात जरिये अच्छे से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘भारत संपूर्ण विश्व समुदाय के लिए उम्मीद और विश्वास का एक स्रोत है। भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है। आपके उत्पादों के लिए हमारे पास श्रम और बाजार है।‘ स्पष्ट होता है कि भारत फ़्रांस आर्थिक दृष्टि से बेहद लाभकारी है। यही कारण है कि फ़्रांसिसी राष्ट्रपति न केवल भारत आए, बल्कि पूरी यात्रा के दौरान उनका व्यवहार भी बेहद गर्मजोशी भरा रहा।
  आर्थिक-व्यापारिक हानि लाभ से इतर फ़्रांस से संबंधों में गर्मजोशी आने से भारत को दुनिया में अपनी स्थिति और मजबूत करने में भी मदद मिलेगी। चूंकि फ़्रांस दुनिया का एक महाशक्तितुल्य राष्ट्र है और पूरे योरोप के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्रसंघ में उसका अत्यंत  प्रभाव है, जिसका दूरगामी लाभ भारत को मिल सकता है। फ़्रांस संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य है तो उसका समर्थन होने पर सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता की भारत की मांग को भी बल मिलने की पूरी संभावना है। कुल मिलाकर स्पष्ट है कि फ़्रांस और भारत कमोबेश किसी न किसी प्रकार दोनों एक दूसरे के लिए ज़रूरी हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें