शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

अपनी करनी भुगत रहा पाकिस्तान [डीएनए]

  • पीयूष द्विवेदी भारत 

डीएनए 
वाघा सीमा के पास भारत-पाक रिट्रीट समारोह के दौरान पाकिस्तानी क्षेत्र में जिस तरह से आत्मघाती आतंकी हमला हुआ है, वो बेहद चौंकाने वाला है । यह हमला भारतीय सीमा क्षेत्र से महज ५०० मीटर की दूरी पर पाकिस्तानी इलाके में हुआ जिसमे कि तीन पाकिस्तानी  रेंजर्स समेत कुल ५५ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और तमाम लोग घायल भी हुए । आतंकी संगठन अलकायदा से सम्बंधित एक संगठन जुन्दल्ला ने इस हमले की जिम्मेदारी भी ले ली है । हालांकि पाकिस्तान में तो छिटपुट आतंकी हमले अक्सर होते रहते हैं, मगर ये हमला कई कारणों से बेहद बड़ा और कई सवाल खड़े करने वाला है । पहली बात कि ये हमला पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र जहाँ पाकिस्तानी सैनिक मौजूद रहते हैं, में हुआ । दूसरी चीज कि ये हमला भारत-पाक रिट्रीट समारोह के अवसर पर हुआ जब पाकिस्तानी सेना आदि के द्वारा अपने क्षेत्र में कथित तौर पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे । अब पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी और तथाकथित विशेष सुरक्षा इंतजामों के बीच इस तरह के भीषण आतंकी हमले का होना सीधे तौर पर  पाकिस्तान की आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था की लचरता व पाकिस्तान में अत्यंत विकराल रूप ले चुके आतंकियों के हौसले को ही दिखाता है। अगर आपको याद हो तो बीते वर्ष पाकिस्तान के कराची अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगातार  दो दिन आतंकियों ने हमला करके तमाम जानें ली थीं । बेहद संघर्ष के बाद पाकिस्तानी जवान उन्हें खदेड़ सके थे । इन सब बातों से यह पूरी तरह से साफ़ है कि आज पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की ताकत और हिम्मत आसमान छू रही है और उनके आगे पाकिस्तानी सेना समेत पाकिस्तान की पूरी सुरक्षा व्यवस्था घुटनों के बल नज़र आ रही है। पाकिस्तान में आज स्थिति की भयावहता ये है कि आतंकी जब और जहाँ चाहें हमला कर लोगों की जान ले सकते हैं और उनको कोई नहीं रोक सकता। पाकिस्तान में आतंकियों का ये बोलबाला न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि समूची दुनिया और विशेषतः भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है। इसका कारण ये है कि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है, ऐसे में वहाँ आतंकियों के मजबूत होने की स्थिति में सबसे बड़ा खतरा ये है कि कहीं किसी तरह आतंकी पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अपने कब्जे में न ले लें। हालांकि पाकिस्तान की तरफ से हमेशा से ये आश्वासन दिया जाता रहा है कि उसके परमाणु हथियार आतंकियों की पहुँच से दूर और एकदम सुरक्षित हैं। लेकिन, आज जिस तरह से पाकिस्तान में आतंकियों के हमले आदि बढ़ गए हैं और पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां उन्हें रोकने में पूरी तरह से लाचार साबित हो रही हैं, उसे देखते हुए विश्व समुदाय के लिए पाकिस्तान के आश्वासन पर भरोसा करना कहीं से तर्कसंगत नहीं दिखता। लिहाजा, कुल मिलाकर मोटी बात ये है कि आज पाकिस्तान दुनिया के लिए बारूद का ऐसा ढेर बन चुका है, जिसमे जरा सी चिंगारी लगने पर पाकिस्तान के साथ-साथ समूची दुनिया में भी विनाश का तांडव मच सकता है।

   आज पाकिस्तान द्वारा भले ही स्वयं को आतंक से पीड़ित बताते हुए उससे  लड़ाई के नाम पर अमेरिका समेत कई देशों से मोटी रकम प्राप्त की जा रही हो,  लेकिन असल सच्चाई तो ये है कि आज जो आतंकवाद पाकिस्तान के लिए नासूर बन चुका है, उस आतंकवाद को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए शुरूआती दौर में पालने-पोषने वाला और कोई नहीं, खुद पाकिस्तान ही है। इस बात की पुष्टि भारत समेत अमेरिका आदि देशों द्वारा भी लगातार की जाती रही है । अभी हाल ही में पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की श्रेष्ठ सेना का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान आतंकियों की मदद लेता रहा है । इन तथ्यों से स्पष्ट है कि आज पाकिस्तान वही काट रहा है, जो कभी उसने बोया था। पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई हो, पाकिस्तानी सेना हो या पाकिस्तानी हुकूमत हो, इनमे से कोई ऐसा नहीं है, जिसने भारत में आतंक फैलाने के लिए आतंकियों को शह नहीं दी हो। भारत में होने वाले अधिकांश आतंकी हमलों में किसी न किसी तरह आईएसआई आदि का हाथ सामने आता रहा है। फिर चाहें वो संसद भवन पर हुआ हमला हो या मुंबई में हुआ २६/११ का हमला या और भी तमाम आतंकी हमले, सभी में पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी, सेना व पाकिस्तानी हुकूमत की भूमिका पाई गई है। हाँ, ये अलग बात है कि पाकिस्तान बड़ी ही बेशर्मी से अपनी भूमिका की इन साक्ष्यपूर्ण बातों को नकारता रहा है। बहरहाल, पाकिस्तान ने जिस आतंकवाद को भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए खड़ा किया था, वो भारत को तो कोई बहुत क्षति नहीं पहुंचा सका। बल्कि उल्टे आज वो पाकिस्तान को ही दिन पर दिन लीलता जा रहा है और पाकिस्तानी हुकूमत उसे रोकने के लिए कुछ खास नहीं कर पा रही। पर दुर्भाग्य तो ये है कि इतने के बाद भी अबतक इस संबंध में पूरी तरह से पाकिस्तान की अक्ल पर से परदा नहीं हटा  है। वो अब भी आतंकवाद को लेकर भारत के साथ मिलकर लड़ने की बजाय भारत में आतंकी हमले करवाने की अपनी कोशिशें जारी रखे हुए है। सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा जो आए दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जाता है, उसका उद्देश्य यही होता है कि गोलीबारी के बीच कुछ आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसा दिया जाए। इसके अलावा अभी कुछ समय पहले ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा टुंडा आदि जो कुछ आतंकी पकड़े गए हैं, उनके तार भी पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी से ही जुड़ते नज़र आ रहे हैं। स्पष्ट है कि भारत को तबाह करने के लिए उपजाए अपने आतंकवाद के चक्र में बुरी तरह पिसने के बावजूद पाकिस्तान के रवैये में अब तक कोई विशेष सुधार नहीं आया है। रिट्रीट समारोह मामले में ही उसने आतंकी हमले के बाद तीन दिन तक भारत से रिट्रीट समारोह न करने का आग्रह कर भारत को रोक खुद अचानक ही रिट्रीट समारोह कर लिया। यानी एक और धोखा । उचित तो ये होता कि आतंकियों व तमाम हथकण्डों के जरिये भारत को मिटाने का ख्वाब देखने की बजाय पाकिस्तान पूरी इच्छाशक्ति से भारत के साथ मिलकर आतंक के खिलाफ लड़ता। ऐसा करके ही वो आतंक के चंगुल से स्वयं को बचा सकता है, वरना वो स्वयं तो आतंक से जूझेगा ही, समूची दुनिया को भी परेशानी में डाले रहेगा।

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