सोमवार, 25 नवंबर 2013

राजनीतिक दुष्चक्र का शिकार होती आप [दैनिक जागरण राष्ट्रीय में प्रकाशित]

  • पीयूष द्विवेदी भारत 

दैनिक जागरण में इस लेख के कुछ अंश 
अगर दिल्ली के संसदीय इतिहास पर एक नज़र डालें तो अब से पहले दिल्ली की सियासत अधिकाधिक रूप से सिर्फ कांग्रेस और भाजपा के बीच ही गुमटी-सिमटी रही थी ! पर इसबार आम आदमी पार्टी (आप) के आ जाने से ये मुकाबला तीन तरफा हो गया है ! अभी हाल ही में हुए कुछ मीडिया सर्वेक्षणों में ‘आप’ की जो स्थिति सामने आई है वो काफी हद तक इस बात की तस्दीक करती है कि इस बार के दिल्ली चुनाव में कांग्रेस-भाजपा किसीके भी लिए ‘आप’ से पार पाना आसान नही होगा ! पर शायद सच ही कहा जाता है कि जैसे-जैसे आपकी ताकत बढ़ती है वैसे-वैसे आपके दुश्मन भी बढ़ते जाते हैं ! फ़िलहाल ये उक्ति केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पर पूरी तरह से सटीक बढ़ रही है ! क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र  काफी लोकप्रियता होने के बावजूद भी केजरीवाल की ‘आप’ के लिए सबकुछ आसान नज़र नही आ रहा ! हालत ये है कि अभी एक मुश्किल का हल वो तलाश रहे होते हैं कि दूसरी मुश्किल आ धमकती है ! इस प्रकार एक के बाद एक मुश्किलातें उनके आगे आती जा रही हैं ! फिर चाहें वो अन्ना के पत्र का प्रकरण हो या आप के कुछ नेताओं का एक संस्थान द्वारा किया गया स्ट्रिंग ऑपरेशन हो  अथवा केजरीवाल आईआरएस विभाग द्वारा केजरीवाल के बयान के विरोध में लिखी गई चिट्ठी हो, ये सब चीजे लगातार आप के राजनीतीक सफर को उसके आरम्भ में ही समाप्त करने की कोशिश कर रही हैं !

  अब अगर आप के रास्ते में आ रही इन सब मुश्किलों को विस्तृत रूप से समझने का प्रयास करें तो ‘आप’ के नेताओं पर हुए स्ट्रिंग के वीडियो की जांच फ़िलहाल चुनाव आयोग कर रहा है अतः इसपर अभी कुछ भी कहना उचित नही होगा ! अब इस स्ट्रिंग की जो भी सत्यता होगी, वो चुनाव आयोग की जांच पूरी होने के बाद सामने आ ही जाएगी ! इसके बाद अब अगर एक नज़र अन्ना द्वारा केजरीवाल को भेजे गए  पत्र के प्रकरण पर डालें तो इस पत्र में अन्ना की तरफ से उनके आंदोलन के समय चंदे में मिले पैसे तथा दिल्ली चुनाव में उनका नाम इस्तेमाल करने के विषय में केजरीवाल से कुछ सवाल पूछे  गए हैं ! अब चूंकि केजरीवाल एक राजनीतिक व्यक्ति हो चुके हैं ! ऐसे में उनके माथे पर शिकन लाने वाली हर बात उनके विपक्षियों के लिए वरदान के समान ही है ! अतः अन्ना के इस पत्र के सामने आते ही दिल्ली में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के विपक्षी दल  कांग्रेस-भाजपा आदि ने उनपर बयानों के तीर छोड़ने शुरू कर दिए ! दरअसल हुआ यूँ था कि अभी कुछ ही दिन पहले अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना का एक पत्र सार्वजनिक किया था जिसमे कि उन्होंने आंदोलन के चंदे आदि के संबंध में कुछ सवाल उठाए थे ! हालाकि बाद में अन्ना द्वारा खुद इस मामले में सफाई देते हुए स्पष्ट किया गया कि उन्होंने केजरीवाल से सिर्फ चंदे के पैसे के विषय में पूछा था, उनपर कोई आरोप नही लगाया था ! अन्ना ने ये भी स्पष्ट किया कि उन्हें चंदे के पैसे से अधिक इस बात की चिंता थी कि कहीं ‘आप’ चुनाव में उनका नाम तो इस्तेमाल नही कर रही ! अब इस मामले में अन्ना द्वारा भले ही सफाई दे दी गई हो, पर ये कहना कठिन है कि इससे केजरीवाल को कोई बड़ी राहत मिल जाएगी और वो अपने विपक्षियों के निशाने पर आने से बच जाएंगे ! क्योंकि राजनीति में सबसे अधिक महत्व अवसर और मुद्दे का होता है ! अतः कांग्रेस और भाजपा ‘आप’ के खिलाफ हाथ आए इस अवसर और मुद्दे को बमुश्किल ही जाने देंगी ! यहाँ अगर विचार करें तो बड़ी आसानी से समझ सकते हैं कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली में बड़ी जल्दी लोकप्रिय होने के लिए  के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारण अरविन्द केजरीवाल की स्वच्छ छवि और पार्टी का जनप्रिय मुद्दों से जुड़ाव है ! अतः अगर इस अन्ना के पत्र वाले प्रकरण में अरविन्द केजरीवाल की छवि खराब होती है तो ये आम आदमी पार्टी के लिए इस चुनाव के समय बहुत बड़ा झटका होगा ! लिहाजा इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता कि अन्ना के पत्र का ये सारा प्रकरण अरविन्द केजरीवाल और आप की छवि को खराब करने के उद्देश्य से उनके राजनीतिक विरोधियों द्वारा ही रचा गया हो ! हो सकता है कि ये सब सच्चाई से परे सिर्फ एक प्रायोजित षड्यंत्र हो ! क्योंकि बेशक अन्ना हजारे व्यक्तिगत रूप से पूर्णतः ईमानदार और स्वच्छ छवि व्यक्ति हैं, पर ये आवश्यक नही कि जो लोग उनके साथ हैं वो भी ईमानदार हों ! वैसे भी अन्ना से अभी जो लोग जुड़े हैं उनमे से अधिकाधिक ऐसे हैं जो किन्ही न किन्ही कारणों से केजरीवाल के विरोधी हैं ! कुछ बातों पर विचार करने पर केजरीवाल के खिलाफ किसी राजनीतिक साजिश का ये अंदेशा काफी हद तक सही ही प्रतीत होता है ! पहली बात कि अगर वाकई में अन्ना को चंदे के पैसे को लेकर कोई शक था तो वो अबतक चुप क्यों बैठे थे ? उन्होंने ये बात पहले क्यों नही कही ? अब जब दिल्ली चुनाव में मतदान होने में गिने-चुने दिन शेष हैं तो ही उन्हें उस चंदे के पैसे की याद क्यों आई ? इन प्रश्नों को देखते हुए जाहिर है कि हो न हो भोले-भाले अन्ना को बरगला कर के ये पत्र किसी राजनीतिक साजिश के तहत लिखवाया गया है जिससे कि केजरीवाल की छवि खराब को किया जा सके !  बहरहाल अब जो भी हो, पर इतना जरूर है कि अगर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल वाकई में निर्दोष होंगे तो वे इन सब बाधाओं को पार करते हुए चुनाव की आग में तपकर खरा सोना होके निकलेंगे ! 

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