शनिवार, 2 नवंबर 2013

पाकिस्तान के प्रति सख्त हो भारत [डीएनए में प्रकाशित]

  • पीयूष द्विवेदी भारत 

डीएनए 
इसमे कोई दोराय नही कि सहनशीलता बहुत अच्छी चीज है, पर इसकी भी एक सीमा होती है ! सीमा से अधिक सहनशीलता कायरता कहलाती है ! आज भारत की पाकिस्तान के प्रति विदेश नीति के संदर्भ में ये बात प्रासंगिक हो जाती  है ! आज जिस प्रकार पाकिस्तानी सेना द्वारा लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन करके भारतीय सीमा पर फायरिंग की जा रही है, उसे देखते हुए ये आवश्यक हो जाता है कि भारत पाकिस्तान के संदर्भ में अपनी नीतियों पर एकबार पुनः विचार करे ! वैसे तो पाकिस्तान द्वारा हमेशा से ही भारत के प्रति नकारात्मक रवैये और धोखेबाजी का परिचय दिया जाता रहा है, पर हाल के कुछ सालों, खासकर इस साल में पाकिस्तान की इन हरकतों में भारी इजाफा हुआ है ! फिर चाहें वो पाकिस्तानी सेना के जवानों का भारतीय सीमा में घुसकर हमारे जवानों के सर काटकर ले जाने की घटना हो या पाकिस्तानी फ़ौज की शह पर कश्मीर के केरन सेक्टर में घुसपैठियों के आ धमकने की अथवा पाकिस्तानी सेना द्वारा लगातार हो रहे संघर्ष विराम के उल्लंघन की, ये सब घटनाएँ साफ़ करती हैं कि पाकिस्तान के ह्रदय में भारत को लेकर सिर्फ और सिर्फ शत्रुता का भाव है ! एक आंकड़े की माने तो इस साल में अबतक पाकिस्तान द्वारा १३६ बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जा चुका है ! और तो और, पाकिस्तान की उद्दण्डता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा कि पाकिस्तानी फ़ौज द्वारा भारतीय सीमा पर जनहित के मद्देनजर किए जा रहे एक निर्माण कार्य को संघर्ष विराम का उल्लंघन कहते हुए रुकवा दिया गया ! लिहाजा इन सभी बातो को देखते हुए अब सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों पाकिस्तान इस कदर हमारे सिर पर चढ़ा हुआ है ? इस प्रश्न का सिर्फ यही उत्तर है कि पाकिस्तान की इन नापाक हरकतों पर भारत की तरफ से चंद बयानों और निन्दाओं के अतिरिक्त कभी, कोई कड़ा रुख अख्तियार ही नही किया जाता ! उदाहरणार्थ स्थिति ये है कि पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम का उल्लंघन करके सीमा पर गोलीबारी की गई और अगर उसमे हमारा कोई जवान शहीद हो गया तो इसपर हमारी सरकार के कोई एक मंत्री सामने आकर पाकिस्तान के प्रति दो-चार कड़ी और शहीद जवान के प्रति एकाध  आदरसूचक बातें कहकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं ! बस यही कारण है कि आज पाकिस्तान लगातार सीमा पर अपनी मनमानी कर रहा है और विश्व की श्रेष्ठ पाँच सेनाओं में से एक हमारी भारतीय सेना कुछ नही कर पा रही ! पाकिस्तान को पता है कि भारतीय हुक्मरान उसकी बड़ी से बड़ी हरकत पर भी सिर्फ ‘कड़ी’ निंदा के अतिरिक्त जमीनी तौर पर कुछ नही करेंगे ! क्योंकि भारतीय हुकूमत में ऐसा कुछ भी करने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति ही नही है !
  हमारे नेताओं की तरफ से प्रायः ये तर्क दिया जाता है कि भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है, इसलिए वो पाकिस्तान की तरह हर बात पर बन्दूक उठाए नही चल सकता ! अब नेताओं को ये कौन समझाए कि निश्चित ही भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है और इसी नाते उसकी ये जिम्मेदारी बनती है कि वो अपनी संप्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखे ! इसमे कोई दोराय नही कि पड़ोसी चुने नही जा सकते, अतः ये आवश्यक है कि आपके अपने पड़ोसी से बेहतर संबंध हों ! पर इसका ये भी अर्थ नही कि पड़ोसी शत्रुता का परिचय देता रहे और आप चुपचाप उसे सहते रहें ! बेशक शांति और सद्भाव से किसीको परहेज नही हो सकता, पर अगर वो राष्ट्र की संप्रभुता की कीमत पर मिल रहे हों तो उन्हें दरकिनार कर देना ही उचित है ! यहाँ तो स्थिति और भी विषम और दुर्भाग्यपूर्ण है ! कारण कि यहाँ राष्ट्र की संप्रभुता भी जा रही है और शांति और सद्भाव का भी दूर-दूर तक कोई पता नही है ! इसीके साथ एक और बात कि युद्ध निश्चित ही कोई विकल्प नही हो सकता ! पर इसका ये भी मतलब नही कि अपनी आत्मरक्षा भी न की जाए ! भारत के साथ यही समस्या है कि वो अपने शांति के सनातन सिद्धांत के अन्धोत्साह में इस कदर मग्न हो रहा है कि उसे इसका तनिक भी भान नही कि जिस पाकिस्तान से वो सद्भाव कायम करना चाहता है उसके ह्रदय में भारत के लिए सिर्फ और सिर्फ घृणा और शत्रुता का भाव है ! इसे इस देश का और वर्तमान समय का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज हमारे हुक्मरान पड़ोसी मुल्क से शांति और प्रेमपूर्ण संबंध कायम करने के लिए ऐसे समर्पित हैं कि इसके लिए वो भारत की संप्रभुता तक से भी समझौता करने को तैयार दिख रहे हैं जिससे कि राष्ट्र के आतंरिक हालातों के अशांतिपूर्ण और विद्रोहमय होने की आशंका प्रबल होती जा रही है !

  उपर्युक्त सभी बातों को देखते हुए आज पाकिस्तान के संदर्भ भारत की पहली जरूरत ये है कि वो पाकिस्तान के प्रति अपनी विदेश नीति में बुनियादी तौर पर बदलाव लाए ! भारत को चाहिए कि वो सर्वप्रथम पाकिस्तान के समक्ष किसी भी तरह की बातचीत व संवाद प्रक्रिया के लिए ये शर्त रखे कि वो अपनी जमीन से हमारे खिलाफ जारी आतंकी गतिविधियों पर न सिर्फ अंकुश लगाए बल्कि २६/११ के मुख्य गुनाहगार हाफिज सईद पर भी जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई करे ! इसके अतिरिक्त जैसा कि सर्वविदित है कि पाकिस्तान में तमाम आतंकी प्रशिक्षण शिविर सतत गतिशील हैं ! लिहाजा इसपर भारत को पाकिस्तान से स्पष्ट कहना चाहिए कि पाकिस्तान स्वयं उन आतंकी शिविरों को सैन्य कार्रवाई के द्वारा या जैसे भी हो जल्द से जल्द नेस्तनाबूद करे, वरना भारत को अपनी सुरक्षा के लिए उनपर कार्रवाई करनी पड़ेगी ! इन चीजों के साथ ही भारत को पाकिस्तान के प्रति अपनी विदेश नीति का हिस्सा बन चुके अमेरिका से भी परहेज करना चाहिए ! क्योंकि, भारत एक सक्षम राष्ट्र है, उसे अपने मामलों में किसीके हस्तक्षेप की कोई जरूरत नही है ! और वैसे भी, इतिहास गवाह है कि अमेरिका आजतक अपने अलावा कभी, किसीका नही हुआ ! वो जिससे भी जुड़ा अपने स्वार्थ के कारण जुड़ा ! भारत-पाकिस्तान के बीच भी अमेरिका अपनी इसी नीति पर चल रहा है ! वो एक तरफ तो भारत से मधुर संबंध की बात करता है और दूसरी तरफ पाकिस्तान को हर स्तर पर भरपूर मदद देता है ! लिहाजा इन सब बातों पर विचार करके अगर भारत पाकिस्तान के प्रति अपनी विदेश नीति में परिवर्तन कर ले तो वो बिना किसी जंग के अपनी सुरक्षा भी सुनिश्चित करने के साथ-साथ पाकिस्तान को भारी मात भी दे सकता है !

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