- पीयूष द्विवेदी भारत
सुनील गावस्कर, कपिल देव, सौरव गांगुली, राहुल
द्रविड़ आदि तमाम खिलाड़ियों के बाद अब pआख़िरकार सचिन रमेश तेंदुलकर ने भी क्रिकेट
को अलविदा कह दिया ! ऐसे में जीवन के चालीस वसंत देख चुके सचिन के
लिए उनके प्रशंसकों से लेकर मित्रों तक हरकिसी के तरफ से अलग-अलग संदेश आए और अब
भी आ रहे हैं ! कोई इस निर्णय को सही बताते हुए इसका स्वागत कर रहा है. तो कोई ये
कह रहा है कि अभी और खेलो सचिन, अभी तुममे और क्रिकेट बाकी है ! वैसे, सचिन में
अभी और क्रिकेट बाकी है अथवा नही, इसपर सचिन के अतिरक्त किसी और का कुछ भी कहना
सही नही लगता ! कारण कि खेलना सचिन को होता है इसलिए ये उन्हें ही पता होगा कि वो
अब खेल सकते हैं या नही ! लिहाजा अगर सचिन ने अब क्रिकेट से सन्यास का निर्णय लिया
है तो ये स्वागतयोग्य है ! पर लोगों का भी क्या दोष उन्हें तो जैसे आदत सी पड़ गई
है सचिन को खेलते हुए देखने की ! इसलिए सचिन के बिना अब क्रिकेट अधूरा सा ही महसूस
होता है और इसमे कुछ भी आश्चर्य नही है ! क्योंकि जो खिलाड़ी पिछले २४ साल से
लगातार शानदार-जानदार क्रिकेट खेलता आ रहा हो, वो दर्शकों की आदत बन ही जाएगा ! सन
१९८९ में कराची में पाकिस्तान के खिलाफ अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर की
शुरुआत करने वाले छोटे और दुबले-पतले से सचिन को वक्त के साथ निखरते उनके प्रदर्शन
ने कब मास्टर ब्लास्टर, लिटिल मास्टर, क्रिकेट के भगवान आदि जाने कितने नामों से
मशहूर कर दिया, इसका अंदाजा शायद उन्हें भी न रहा हो ! भारत में तो सचिन की
लोकप्रियता उस स्तर पर है कि बड़ा-बूढ़ा-बच्चा कोई भी हो, फिर चाहें वो क्रिकेट
देखता हो या नही, सचिन सबके दिल में बसते हैं और हरकोई सचिन पर गर्व करता है ! पर इसके
अतिरिक्त आज सचिन समूचे विश्व के लोगों के दिलों पर भी राज करते हैं ! इस संदर्भ
में कहना गलत नही होगा कि सचिन संभवतः ऐसे पहले अथवा उन चंद अपवाद खिलाड़ियों में
से हैं जिनकी लोकप्रियता उन मुल्कों तक में फैली है जहाँ क्रिकेट नही खेला जाता ! नजीर
के तौर पर देखें तो वैश्विक महाशक्ति अमेरिका जहाँ क्रिकेट का कोई अर्थ नही है, के
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सचिन की लोकप्रियता को रेखांकित करते हुए सोशल साइट्स पर
लिखा था, “मै क्रिकेट की समझ नही रखता, पर जब सचिन खेलते हैं तो मै क्रिकेट जरूर देखता हूँ ! बस
ये जानने के लिए कि जब वो बल्लेबाजी करते हैं तो मेरे देश की उत्पादन क्षमता ५
प्रतिशत कम क्यों हो जाती है ?” ओबामा के इस कथन को देखते हुए बड़ी सरलता से सचिन
की वैश्विक लोकप्रियता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है ! न सिर्फ ओबामा ही, बल्कि
दुनिया के और भी कई देशों के राजनयिकों द्वारा सचिन के प्रति ऐसी बातें कही जाती
रही हैं !
विश्व
क्रिकेट में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हुए हैं ! ब्रेडमैन, रिचर्ड्स, लारा, गावस्कर,
पांटिंग आदि तमाम बेहतरीन खिलाड़ियों से क्रिकेट का इतिहास भरा पड़ा है ! इनमे से
कुछ खिलाड़ी सचिन से पहले हुए तो कई उनके समान्तर रहे ! पर न सिर्फ रिकार्ड्स बल्कि
चारित्रिक रूप से भी इनमे से कोई भी खिलाड़ी सचिन की बराबरी नही कर सका ! लगभग इन
सभी खिलाड़ियों को अपने क्रिकेट करियर के दौरान किसी न किसी विवाद का सामना जरूर
करना पड़ा, पर यही सचिन के व्यक्तित्व की विशेषता रही कि अपने पूरे क्रिकेट करियर के
दौरान उन्होंने हमेशा ही खुद को विवादों से बचाए रखा ! ऐसा बिलकुल नही है कि इस
महान खिलाड़ी के २४ साल के इस क्रिकेट सफर में मुश्किलें नही आईं या उन्हें
आलोचनाओं का सामना नही करना पड़ा ! हर खिलाड़ी के तरह सचिन के प्रदर्शन में भी कई
बार उतार-चढ़ाव के दौर आए ! पर हर उतर-चढ़ाव, हर मुश्किल, हर आलोचना का सचिन ने न
सिर्फ पूरी दृढ़ता से मुकाबला किया बल्कि पूरे संयम के साथ शब्दों की बजाय अपने
बल्ले से दमदार प्रदर्शन कर के अपने आलोचकों को जवाब भी दिया ! कभी, कोई आलोचना
सचिन को इतना विचलित नही कर पायी कि वो अपना जबानी संयम खो दें और किसीके लिए कुछ
गलत कहें ! अपनी इन्ही चारित्रिक विशेषताओं के कारण सचिन न सिर्फ एक शानदार और
दमदार खिलाड़ी बल्कि एक बेहतरीन इंसान के रूप में लोगों के दिलों में मौजूद हैं और
हमेशा रहेंगे ! क्रिकेट के क्षेत्र में भारत का नाम आसमान की बुलंदियों पर ले जाने
वाले सचिन के सन्यास के बाद सरकार द्वारा उन्हें देश का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान
‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की गई है !
वैसे, सचिन के सन्यास के बाद अब एक नई बहस ने
जन्म ले लिया है कि क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद अब सचिन आगे क्या करेंगे ? इस
विषय में जितने लोग हैं लगभग उतनी ही बातें भी हैं ! कोई सचिन को राजनीति में
सक्रिय होने, कोई सामाजिक कार्यों से जुड़ने, तो कोई क्रिकेट आदि खेलों के विकास के
लिए प्रयास करने की बात कह रहा है ! बहरहाल उचित तो यही होगा कि क्रिकेट से सन्यास
के बाद फ़िलहाल कुछ दिनों तक सचिन आराम करें और अपने परिवार के साथ समय बिताएँ !
उसके बाद वो स्वयं विचार करें कि वो क्या कर सकते हैं और फिर जो सही लगे वो वही
करें ! हाँ, इतना अवश्य है कि क्रिकेट से उनका गहरा जुड़ाव है अतः अगर वो क्रिकेट
समेत तमाम खेलों के लिए कुछ करें तो इससे बेहतर कुछ और नही हो सकता ! खैर ये सब
बाद की बातें हैं, इनपर अभी बहुत अधिक कुछ कहना समय के हिसाब से उचित नही है ! आज
तो बस इतना ही कहा जाना चाहिए कि सचिन सिर्फ एक है और एक ही रहेगा ! दूर भविष्य
में भले ही कोई खिलाड़ी सचिन के रिकार्ड्स की समानता प्राप्त कर ले, पर उनके
व्यक्तित्व की समानता प्राप्त करना किसीके लिए भी आसान नही होगा ! सचिन के इस
सन्यास के साथ ही क्रिकेट में एक युग का अंत हो गया है जोकि दूबारा नही आ सकता ! आज
के इस दनादन क्रिकेट में कोई देर-सबेर सचिन के रिकार्ड्स का पार भले पा जाए, पर
क्रिकेट के प्रति उनके जैसी आस्था, समर्पण और लगाव का पार कोई नही पाएगा ! सचिन के
सन्यास के बाद शायद इसी चीज को रेखांकित करते हुए उनकी पत्नी अंजलि तेंदुलकर ने
कहा, “क्रिकेट तो सचिन के बिना भी चलता रहेगा, पर मै परेशान हूँ कि क्रिकेट के
बिना सचिन कैसे रहेंगे !”
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