बुधवार, 14 जून 2017

पेट्रो उत्पादों के दैनिक मूल्य निर्धारण की चुनौती [दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण और अमर उजाला कॉम्पैक्ट में प्रकाशित]

  • पीयूष द्विवेदी भारत
विगत मई से देश के पांच शहरों उदयपुर, जमशेदपुर, पुंडूचेरी, चंडीगढ़ और विशाखापट्टनम में प्रयोग के तौर पर पेट्रो उत्पादों का प्रतिदिन मूल्य निर्धारित करने की व्यवस्था शुरू की गयी थी। अब एक महीने बाद इन शहरों में इस व्यवस्था के प्रति लोगों में सकारात्मक रुझान का दावा करते हुए भारत सरकार इसे  पूरे देश में लागू करने जा रही हैं। आगामी १६ जून से अब पूरे देश में प्रतिदिन पेट्रो उत्पादों का मूल्य निर्धारण करने का फैसला सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा किया गया है। अबतक हर पंद्रह दिन पर डीजल और पेट्रोल की कीमतों की समीक्षा की जाती थी, लेकिन इस व्यवस्था के बाद अब अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में रोजाना आने वाले उतार-चढ़ाव के हिसाब से रोज पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कुछ पैसे का बदलाव आएगा। माना जा रहा है कि इससे लोगों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी-भरकम बढ़ोत्तरी से होने वाली परेशानी से निजात मिलेगी। कंपनियों का दावा है कि इससे पेट्रोल-डीजल की बिक्री मूल्य में उतार-चढ़ाव कम होगा और पेट्रोल पंपों पर रिफाइनरी से पेट्रोल-डीजल पहुंचाने का काम भी आसान हो जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि इससे तेल की कीमत तय करने में राजनीतिक दखल कम होगा। लेकिन, इस व्यवस्था को लेकर कुछ सवाल भी उठते हैं।

दैनिक जागरण
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि पेट्रो उत्पादों के मूल्यों में आने वाले प्रतिदिन के परिवर्तन की सूचना तेल कम्पनियां देश के लगभग पचपन हजार पेट्रोल पम्पों और आम लोगों तक रोज कैसे पहुंचा पाएंगी ? इस सम्बन्ध में क्या तेल कंपनियों के पास कोई ठोस व्यवस्था है ? इस सवाल पर तेल कंपनियों द्वारा मोबाइल एप से लेकर अखबार आदि के माध्यम से प्रतिदिन कीमतों को लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था करने की बात कही जा रही है, लेकिन इन व्यवस्थाओं की सफलता पर भी कई सवाल उठते हैं। सवाल यह कि स्मार्ट फोन इस देश में अभी बहुत कम लोग इस्तेमाल करते हैं और अखबार की पहुँच भी अभी सभी तक नहीं है, लेकिन पेट्रोल-डीजल चालित गाड़ियाँ या अन्य उपकरण कमोबेश शिक्षित-अशिक्षित हर वर्ग के लोगों के पास हैं। ऐसे में मोबाइल एप या अखबार के जरिये कीमतों की सही सूचना लोगों तक पहुँचाना कितना कारगर होगा, कहना कठिन है। इन बातों को तेल कम्पनियां भी जानती हैं, इसीलिए अभी वे भी प्रतिदिन कीमतों की सूचना प्रसारित करने की अपनी तैयारी के विषय में पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह रही हैं। ऐसे में, यह आशंका निर्मूल नहीं लगती कि पेट्रो उत्पादों के दैनिक मूल्य निर्धारण की इस व्यवस्था से तेल कंपनियों को लूट के लिए खुली छूट मिल जाएगी और वे मनमाने ढंग से कीमतें निर्धारित करने लगेंगी।
 
इस निर्णय के विरोध में पंप संचालकों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला तो 16 जून को राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल-डीजल ना बेचेंगे और ना खरीदेंगे। अगर फिर भी सरकार ने फैसला नहीं बदला तो 24 जून से देशभर के पेट्रोल पंप संचालक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। पंप संचालकों ने पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान को ज्ञापन दे दिया है। पंप संचालकों का कहना है कि रोज-रोज पेट्रोल-डीजल के दाम तय होने से पंप संचालकों को रोज रात पंप पर मौजूद रहना पड़ेगा। क्योंकि सिर्फ पंप संचालक ही पंप पर रेट बदल सकता है। इसके साथ ही पंप संचालकों की यह भी दलील है कि अगर पेट्रोल के दाम घटेंगे तो पंपों पर अतिरिक्त स्टॉक रहने से पंप संचालकों को रोज नुकसान होगा।

अमर उजाला कॉम्पैक्ट
वैसे, प्रतिदिन मूल्य निर्धारण की इस व्यवस्था के पक्ष में तर्क दिया जा रहा है कि दुनिया के तमाम विकसित देशों में यह व्यवस्था लागू है और सफल भी है, मगर यहाँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत अभी विकसित नहीं हुआ है। विकसित देशों में इस व्यवस्था के समुचित क्रियान्वयन के लिए पुख्ता तंत्र है, जिससे इसमें किसी प्रकार का गड़बड़झाला नहीं हो पाता। साथ ही, विकसित देशों में तेल कम्पनियां प्रतियोगिता के आधार पर प्रतिदिन कीमतें तय करती हैं, इससे कीमतें नियंत्रित रहती हैं और उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है। मगर, भारत में कंपनियों द्वारा आपस में आम सहमति से कीमत तय की जाती है, तो संभव है कि तेल कम्पनियां साठ-गाँठ से कीमतें ऊँची रख सकती हैं। इसके अलावा पेट्रो-उत्पादों की कीमतों का सीधा प्रभाव यातायात शुल्क के माध्यम से पूरे बाजार पर पड़ता है। खाने-पीने की चीजों से लेकर अन्य तमाम वस्तुओं के मूल्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आने वाले उतर-चढ़ाव का सीधा असर पड़ेगा और संभव है कि इन सब क्षेत्रों में भी कीमतों को लेकर मनमानी शुरू हो जाए, क्योंकि कीमतों में बदलाव को प्रतिदिन सभी तक पहुंचा पाने के लिए अभी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। ऐसे में कहना होगा कि अगर प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव आता है, तो इससे बाजार में अस्थिरता की स्थिति पैदा होने की काफी हद तक संभावना है। यानी कि ये निर्णय उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने से अधिक उनके लिए परेशानी का सबब ही बन सकता है।

कुल मिलाकर स्पष्ट है कि पेट्रो उत्पादों के प्रतिदिन मूल्य निर्धारण की यह व्यवस्था को लेकर अभी अनेक सवाल और आशंकाएं हैं। पेट्रोल पम्प संचालक इन बातों को समझ रहे हैं, क्योंकि वे धरातल की वास्तविकता से परिचित हैं। उन्हें पता है कि फिलहाल प्रतिदिन मूल्य निर्धारण की व्यवस्था को लागू करना उनके लिए केवल घाटे का सौदा साबित हो सकता है, बल्कि व्यावहारिक रूप से ये बेहद मुश्किल भी रहने वाला है,  इसीलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं। संभव है कि देश के पांच शहरों में ये प्रयोग के तौर पर यह सफल रही हो, मगर पांच शहरों और पूरे देश में अंतर है। उन पांच शहरों में इसकी सफलता के आधार पर इसे पूरे देश के लिए उचित समझ लेना किसी लिहाज से बुद्धिमानी पूर्ण नहीं कहा जा सकता। 

अच्छी से अच्छी व्यवस्था भी बिना पुख्ता तैयारी के लागू करने पर लाभ कम हानि पहुंचाने वाली अधिक साबित होती है। उदाहरण के लिए दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण-नियंत्रण के लिए लागू गाड़ियों की सम-विषम योजना का पुख्ता तैयारी होने के कारण क्या हश्र हुआ था, हम देख चुके हैं। प्रतिदिन मूल्य निर्धारण की व्यवस्था का भी वही हश्र हो, इसलिए उचित होगा कि सरकार तथा तेल कम्पनियां भी इसके क्रियान्वयन की समस्याओं को समझें तथा इस व्यवस्था को लागू करने से पूर्व इसके लिए पूरी तैयारी कर लें।

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