शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

छोटा राजन की गिरफ्तारी का अर्थ [दबंग दुनिया और नेशनल दुनिया में प्रकाशित]

  • पीयूष द्विवेदी भारत 

दबंग दुनिया 
विगत दिनों इंडोनेशिया के बाली हवाई अड्डे पर इंटरपोल द्वारा किसी जमाने में दाऊद का दाहिना हाथ कहे जाने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को गिरफ्तार कर लिया गया। छोटा राजन की यह गिरफ्तारी भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर की गई। छोटा राजन की गिरफ्तारी के बाद से ही भारतीय मीडिया से लेकर सरकार तक हड़कंप मच गया है। और हड़कंप मचे भी क्यों न! आखिर छोटा राजन अंडरवर्ल्ड में दाऊद के बाद नंबर दो का डॉन रहा है। ये अलग बात है कि फिलवक्त  उसकी हालत काफी गर्दिश में थी और दाऊद गैंग से भागता फिर रहा था, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वो दाऊद का सबसे करीबी आदमी था। इसी संदर्भ में अगर एक नज़र छोटा राजन के पूरे जीवन-वृत्त पर डालें तो उपलब्ध जानकारियों के अनुसार इसका असली नाम राजेन्द्र सदाशिव निखलजे है। मुंबई में जन्मा राजेन्द्र सदाशिव निखलजे शुरू-शुरू में में छोटी-मोटी चोरियां, तस्करी आदि करता था, फिर इसने राजन नायर यानी बड़ा राजन के लिए काम करना शुरू किया और फिर बड़ा राजन की मौत हुई तो छोटा राजन के नाम से इसने उसके गैंग की कमान संभाल ली। फिर वह दाऊद से जुड़ गया और उसके लिए मुंबई में काम करने लगा। सन १९८८ में वह मुंबई छोड़कर दुबई चला गया। ये वो दौर था जब दाऊद और छोटा राजन में बेहद नजदीकी थी। इस दौरान उसने मुंबई लूट, फिरौती, हत्या आदि की तमाम वारदातों को अंजाम दिलवाया। लेकिन सन १९९३ के मुंबई बम धमाकों के बाद दाऊद और छोटा राजन में मतभेद उभर आए। छोटा राजन ऐसे हमले के खिलाफ था, पर दाऊद ने हमले को अंजाम दिया। परिणामतः दाऊद से अलग होकर उसने अपनी एक अलग गैंग बना ली और खुद को राष्ट्रवादी हिन्दू डॉन के रूप में प्रचारित करने की नाकामयाब कोशिश करने लगा।
नेशनल दुनिया 
उसने दाऊद गैंग के लोगों को मरवाना शुरू कर दिया। साथ ही भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों को भी दाऊद गैंग से जुडी महत्वपूर्ण सूचनाएं भी देने लगा जिससे दाऊद्द को काफी दिक्कते हुईं। छोटा राजन के बढ़ते कद से मुंबई के छोटा शकील जैसे छोटे डॉन असुरक्षित महसूस कर ही रहे थे तो मौके का फायदा उठाते हुए उन्होंने दाऊद को उसके खिलाफ भड़काया। धीरे-धीरे छोटा शकील दाऊद के लिए छोटा राजन की जगह ले लिया और फिर छोटा राजन को मारने के लिए अनेकों बार कोशिशें हुईं। वो दुबई, आस्ट्रेलिया, अमेरिका आदि तमाम देशों में जान-बचाकर भागता फिरता रहा। करते-धरते आज हालत यह है कि छोटा राजन की गैंग लगभग पूरी तरह से तहस-नहस हो चुकी है और शारीरिक रूप से भी वो बेहद अस्वस्थ है। उसकी किडनियां ख़राब हो चुकी हैं और वो चिकित्सकीय उपकरणों तथा दवाओं के दम पर जिंदा है। इन स्थितियों को देखते हुए उसकी इस अचानक गिरफ्तारी पर यह भी कहा जा रहा है कि उसने खुद ही  अपनी गिरफ्तारी इंडोनेशिया में करवाई है ताकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में वो दाऊद गैंग से सुरक्षित रहे तथा उसका समुचित इलाज भी हो सके। क्योंकि जो डॉन पिछले कई दशकों से भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों को चकमा देता रहा था, उसकी इतनी आसानी से गिरफ्तारी तो कहीं से हजम नहीं ही होती। यह भी कहा जा रहा है कि गिरफ्तारी के लिए उसने इंडोनेशिया इसलिए चुना क्योंकि वहां उसपर कोई आपराधिक मामला नहीं है और उसकी नागरिकता भारत की है, ऐसे में इंडोनेशिया हुकूमत द्वारा उसे भारत को सौंपना ही एक रास्ता है। गिरफ्तारी के बाद उसकी  जो  तस्वीर सामने आई है उसमे छोटा राजन मुस्कुरा रहा है, ये तस्वीर  भी इस बात की काफी हद तक पुष्टि ही करती है कि ये गिरफ्तारी कहीं न कहीं सुनियोजित थी। अब जो भी हो, लेकिन इससे तो कोई इंकार नहीं किया जा सकता कि छोटा राजन के भारत आने पर पूछताछ में दाऊद गैंग से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें सामने आएं जिनके जरिये ख़ुफ़िया एजेंसियों को दाऊद तक पहुँचने में भी सहायता मिले। लेकिन यह कहना कि छोटा राजन गिरफ्तार हो गया तो दाऊद भी अब दूर नहीं, अभी काफी जल्दबाजी भरी उक्ति होगी। वैसे, भारत में छोटा राजन पर लूट, फिरौती, हत्या, हत्या के प्रयास आदि के तमाम मामले दर्ज हैं। मशहूर पत्रकार ज्योतिर्मय डे हत्याकांड में भी छोटा राजन की संलिप्तता की बात खुद उसीके द्वारा स्वीकार की गई है। आशा है, अगले सप्ताह-दस दिनों में उसे भारत लाया जाय और फिर इन सब मामलों में उसपर मुकदमा भी चलेगा ही।

  एक तथ्य यह भी है कि छोटा राजन की गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले से ही विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह इंडोनेशिया में थे तो माना जा रहा है कि कहीं न कहीं वे इसी मिशन के लिए इंडोनेशिया में गए हों। वैसे अब जिस तरह से छोटा राजन द्वारा खुद ही अपनी गिरफ्तारी की बात सामने आ रही है, उसने मोदी सरकार से इस गिरफ्तारी का श्रेय लेने का मौक़ा लगभग छीन ही लिया है। शायद इसीलिए सरकार द्वारा अबतक इसपर श्रेय लेने की कोई विशेष कोशिश भी नहीं की गई है और संभव है कि बहुत अधिक की जाएगी भी नहीं। 

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