बुधवार, 22 जुलाई 2015

बाहुबली और बम-बम भोले..!!



  • पीयूष द्विवेदी भारत
हिन्दू देवों में शिव का स्थान अत्यंत उच्च है। महादेव कहे जाते हैं। यह महानता यूँ ही नहीं है, शिव के उदार, निर्विकार, दयालु और समर्थ व्यक्तित्व के कारण है। मान्यता है कि शिव सब देवताओं में सर्वाधिक उदार हैं। इतने कि श्रद्धा के साथ सुबह-शाम एक-एक लोटा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न हो समस्त मनो-इच्छाएँ पूर्ण कर देते हैं। एक कथा हैं कि अड़भंगी जीवन जीने वाले शिव ने एकबार पार्वती मईया के हठ वश कैलाश पर्वत से इतर त्रिकूट पर्वत पर अपने लिए एक सोने के महल का निर्माण किया। नाम रखा लंका। भव्य गृहप्रवेश का आयोजन किया गया। तमाम ब्राह्मण दान के लिए उपस्थित हुए। वहीँ एक ब्राह्मण दम्पति ने दान में शिव से वो महल ही मांग लिया। फिर क्या था! पार्वती माता के क्रोध-विरोध के बावजूद भी औढरदानी शिव ने वो महल उस ब्राह्मण दम्पति को दे दिया। वही ब्राह्मण दंपत्ति भविष्य में रावण-कुम्भकरण के माता-पिता हुए। इसी प्रकार भस्मासुर, बाणासुर, नन्दीश्वर, उपमन्यु आदि तमाम शिव आराधकों की कथाएँ प्रचलित हैं। दूध की इच्छा के कारण तपस्यारत उपमन्यु पर तो शिव इतने उदार हुए कि उनके लिए दूध के समुद्र का ही निर्माण कर दिए। भोले तो इतने हैं कि एक चोर ने उनके मंदिर से नैवेद्य चुराने के लिए अपने कपड़े को जलाकर प्रकाश किया तो इसे बाबा ने दीपदान मान लिया। और उस चोर पर इतने प्रसन्न हुए कि कालांतर में उसे धनाधिपति कुबेर बना दिए। तो ऐसा है मेरे शिव का औदार्य..ऐसी है उनकी महिमा!!




अभी कुछ समय पहले एक फिल्म आई थी 'पीके' जिसमें धार्मिक आडम्बरों को उजागर करने के नाम पर एक दृश्य में एक प्रतीक पात्र के माध्यम से शिव का अत्यंत अभद्र चित्रण किया गया। यह दृश्य एकदम अनावश्यक और गलत नीयत से फिल्म में डाला गया था। फिल्म का काफी विरोध हुआ, पर अपने को प्रगतिशील कहने वाले कुछ अंधे तबकों ने आस्था के उस मजाक का समर्थन भी किया, बहरहाल, कुछ अच्छे विषय तो कुछ बढ़े विवाद के कारण फिल्म काफी चली..खूब कमाई के रिकॉर्ड तोड़ी। समय बीता..अभी एक फिल्म आई है 'बाहुबली' जिसकी तस्वीर संलग्न है, जिसमे नायक शिवलिंग को अपने कंधे पर लिए हुए है। इस फिल्म ने भी अबतक कमाई के काफी रिकॉर्ड ध्वस्त किए हैं। पहले दिन की कमाई में ये देश की अबतक की सबसे सफल फिल्म बन गई है और लगातार कमाती ही जा रही है। इसका कोई विरोध भी नहीं है और सब तरफ प्रशंसा ही हो रही है। लोग कह रहे हैं कि पीके में आमिर खान नंगे हो गए, ऊलूल-जुलूल हरकतें किए, दुनिया भर की गाली सुने..तब जाके जो कमाई किए, उतना या उससे अधिक ही 'बाहुबली' पूरी प्रशंसा के साथ बड़े आराम से कमाने जा रही है। क्योंकि पीके ने भोले का उपहास किया और बाहुबली ने उन्हें अपने मस्तक पर स्थान दिया। पर मै इसमें यह भी जोड़ना चाहूँगा कि पीके की सफलता भी भोले की कृपा ही है। क्या पता उन्हें उसमे भी अपने लिए कोई श्रद्धा दिख गई हो जैसे उक्त नैवेद्य-चोर में दिख गई थी। आखिर शिव तो शिव हैं! उनके लिए क्या बुरा-क्या अच्छा। संभव है कि इस फिल्म से 'पीके' वालों और देश अंधे प्रगतिशीलों को कुछ अक्ल आए और न आए तो भाड़ में जाएं। आप तो बस देखिए बाहुबली और बोलिए बम बम भोले!!

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