शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

पाक के खिलाफ़ सख्त कूटनीति जरूरी [आईनेक्स्ट इंदौर में प्रकाशित]



  • पीयूष द्विवेदी भारत
इसे मात्र एक संयोग कहा जाए या आतंकियों की सोची-समझी रणनीति कि जब अमेरिका में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच मेलजोल की तैयारी हो रही थी, तब जम्मू-कश्मीर के केरन सेक्टर में पाक-प्रेरित घुसपैठियों द्वारा हमारी सीमा लांघकर हमारे इलाके पर कब्जे की कोशिश की जा रही थी ! पर ये हमारे बहादुर जवानों का हौसला ही था जिसने उन घुसपैठियों के काले मंसूबों को कामयाब नही होने दिया ! घुसपैठियों और सेना के जवानों के बीच पन्द्रह दिन तक भीषण मुठभेड़ चली जिसमे सात घुसपैठियों के शव सेना द्वरा बरामद किए गए हैं ! सेना ने अबतक मारे गए घुसपैठियों के पास से जो युद्धक सामग्री बरामद की है उसे देखते हुए इसकी पूरी संभावना जताई जा रही है कि यहाँ किसी बड़े युद्ध की तैयारी चल रही थी ! अब सवाल ये उठता है कि जवानों की तैनाती होने के बावजूद भी आखिर किस प्रकार हमारी सीमा के भीतर घुसपैठ हो गई ? यहाँ कुछ बिंदुओं पर विचार करें तो तमाम ऐसे सवाल सामने आते है जो चाहे-अनचाहे इस सम्पूर्ण घटनाक्रम में पाक सेना की संलिप्तता को ही पुख्ता करते हैं ! जैसे कि बिना पाकिस्तानी सेना की शह के भारी संख्या में आतंकी पाक सीमा से भारतीय सीमा में कैसे घुस सकते हैं ? दूसरी चीज कि इन घुसपैठियों को रसद तथा लंबे समय तक भारतीय जवानों का सामना करने के लिए गोली-बंदूकें कहाँ से प्राप्त हो रही थीं ? जाहिर है कि बगैर पाक सेना की मदद के सिर्फ आतंकी संगठनों द्वारा इतने दिनों तक भारतीय सीमा में घुसकर भारतीय फ़ौज का मुकाबला करना संभव नही है ! अतः संशय नही कि इसमे आतंकियों को पाक सेना द्वारा हर स्तर पर भरपूर सहयोग दिया जा रहा होगा ! भारतीय सेना की तरफ से तो खुले तौर पर ये संकेत भी दिए जा रहे हैं कि इस घुसपैठ में आतंकियों के साथ पाक सेना के विशेष जवान भी मौजूद थे, पर ये हमारे सियासी महकमे की कूटनीतिक विफलता ही है कि हमारे सियासी हुक्मरान इस संबंध में पाकिस्तान पर अबतक किसी तरह का कोई दबाव नही बना पाए हैं ! इस संबंध में हमारे हुक्मरान अबतक सिर्फ बड़ी-बड़ी बातों के हवाई किले बनाने में ही लगे हैं, यथार्थ के धरातल पर अबतक कोई ठोस कदम नही उठाया गया है ! पाकिस्तान के द्वारा तो हमेशा की ही तरह इसबार भी इस घुसपैठ अपनी संलिप्तता से साफ़ इंकार किया जा रहा है ! पर आश्चर्य इस बात का है कि हमारे नेता भी आँख-कान बंद किए पाकिस्तान की बात पर ही यकीन किए बैठे हैं ! ऐसा लगता है जैसे हमारे हुक्मरान पाकिस्तान को अपना बहुत बड़ा हमदर्द और सच्चा मित्र मान चुके हैं जिस कारण वो उसकी बात पर कोई संदेह नही कर रहे ! अगर ऐसा नही होता तो क्या अबतक अपनी सीमा में इस पाक समर्थित आतंकी घुसपैठ को मुद्दा बनाकर  सरकार द्वारा पाकिस्तान के ऊपर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनैतिक दबाव बनाने की कोशिश नही  गई होती ! पर हमारे सियासी आकाओं द्वारा ये दबाव बनाने की सिर्फ बातें ही की जा रही है, जमीनी हकीकत ये है कि अबतक पाकिस्तान पर किसी तरह का कोई दबाव नही बनाया जा सका है !
आईनेक्स्ट इंदौर
  पाकिस्तान को लेकर हमारी नीतियों की असल खामी भी यही है कि हम उसकी नापाक हरकतों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा नही बना पाते हैं या कहें कि बनाना चाहते ही नही हैं ! पाकिस्तान की हालत हर स्तर पर हमारे सामने बौनी है, पर बावजूद इसके वो हमारे खिलाफ लगातार आक्रामक रुख अपनाए रहता है जबकि विश्व बिरादरी में एक मजबूत साख रखने वाले हम हमेशा ही उसकी मान-मनौव्वल में लगे रहते हैं ! हमने कभी भी स्वयं को पाकिस्तान के समक्ष एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत ही नही किया ! पाकिस्तान सदैव से हर स्तर पर हमारे हितों का विरोध करने की नीति पर चलता रहा है, पर हमने हमेशा ही पाकिस्तान के प्रति नरम रुख अपनाने में विश्वास किया है ! यहाँ उल्लेखनीय होगा कि आचार्य चाणक्य ने कभी कहा था कि आदमी को थोड़ा टेढ़ा भी होना चाहिए, सिर्फ सीधा होना उसके हितों के लिए हानिकारक हो सकता है ! भारत के साथ यही समस्या है कि वो शांति समर्थन के अपने सनातन सिद्धांत को निभाने के अन्धोत्साह में इस कदर मशगूल है कि उसे इसका तनिक भी भान नही कि इस कारण विश्व समुदाय में उसकी छवि एक ऐसे राष्ट्र की बनती जा रही है जो शक्तिसंपन्न होते हुए भी अपने हितों की रक्षा नही कर सकता ! निश्चित ही शांति का समर्थन हमारे सनातन सिद्धांतों में से एक रहा है, पर ये भी एक सत्य है कि समय के साथ हर सिद्धांत परिवर्तन चाहता है ! दूसरी बात कि कोई भी सिद्धांत राष्ट्र से बड़ा नही हो सकता ! ऐसे सिद्धांतों के प्रति मोह का क्या अर्थ जिनसे कि राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को ही खतरा उत्पन्न हो जाय ! कोई दोराय नही कि युद्ध कोई विकल्प नही है, पर राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा के लिए एकबार इसपर भी विचार किया जा सकता है ! पर फिलहाल स्थिति इतनी विकट नही है ! अगर हमारे सियासी हुक्मरान थोड़ी सूझबूझ का परिचय दें तो बिना किसी जंग के कूटनैतिक स्तर पर पाकिस्तान को दबाया जा सकता है !
  आज जरूरत इस बात की है कि हम विश्व समुदाय के सामने पाकिस्तान को एक समस्या के रूप में पेश करें ! साथ ही उसकी नापाक हरकतों का कच्चा-चिठ्ठा विश्व बिरादरी में खोले ! उल्लेखनीय होगा कि मुंबई हमलों से जुड़े तमाम सबूत हम अबतक पाकिस्तान को सौप चुके हैं, पर इसका कोई सकारात्मक परिणाम नही निकला है ! अब जरूरत इस बात की है कि उन सबूतों को विश्व समुदाय के समक्ष पेश करते हुए पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को उजागर किया जाए ! साथ ही पाकिस्तान से किसी तरह की कोई भी बातचीत तबतक न की जाए जबतक कि वो अपनी ज़मीन से हमारे खिलाफ चल रही आतंकी गतिविधियों पर विराम लगाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नही करता है ! हमारी कोशिश होनी चाहिए कि पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा दबाव बने कि वो अपनी ज़मीन पर स्थित आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को सैन्य कार्रवाई के द्वारा जल्द से जल्द नेस्तनाबूद करे ! बहरहाल, इन सभी चीजों के लिए आवश्यक है कि हमारे सियासी आका शांति के नाम पर हर समझौते के लिए तैयार रहने वाली अपनी घिसी-पिटी सोच को छोड़कर दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख अपनाएं ! क्योंकि बिना दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के इन सब बातों का कोई विशेष अर्थ नही है !

3 टिप्‍पणियां:

  1. इन बातों को अमली जामा भी तो पहनाना भी तो जरूरी है| कौन समझाये भारत सरकार को?? खैर ,,,कहते है न ठोकर खाने के बाद ही अकल आती है| आ जाएगी देर सबेर !!
    आपको बधाई लेखन के लिए !!

    प्लीज वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये आ0!

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    1. वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये....? तात्पर्य नही समझ पा रहा हूँ आदरणीय !

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय गीतिका जी !

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