शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

पाकिस्तान की शह पर घुसपैठ [दैनिक जागरण राष्ट्रीय व डीएनए में प्रकाशित]



  • पीयूष द्विवेदी भारत

डीएनए
कश्मीर के केरन सेक्टर में भारतीय सेना और पाकिस्तानी घुसपैठियों के बीच जारी मुठभेड़ आख़िरकार समाप्त हो ही गई ! सेना द्वारा सात घुसपैठियों के शव तथा कुछ हथियार बरामद किए गए हैं ! बहरहाल अब ये मुठभेड़ भले ही समाप्त हो गई हो, पर अपनी समाप्ती के साथ ही इसने कई सारे सवाल भी छोड़ दिए हैं ! ऐसे सवाल जो भारतीय सीमा सुरक्षा के विषय में तमाम संदेह पैदा करते हैं ! इस संबंध में सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि अगर घुसपैठियों की संख्या मात्र सात थी तो फिर इस मुठभेड़ को खत्म होने में इतना अधिक समय क्यों लगा ? क्या हमारे हजारों जवान सेना के सर्वोच्च कमांडरों के नेतृत्व में मात्र सात घुसपैठियों से पखवाड़े भर लड़ते रहे ? इन सवालों पर अबतक कोई पुख्ता जवाब कहीं से नही आया है ! फिर चाहे वो सेनाध्यक्ष हों या सियासी हुक्मरान सभी इन सवालों पर मौन ही धारण किए हुए हैं ! इन सबके अतिरिक्त एक सवाल यह भी उठता है कि जब बीते २७ सितम्बर को सेना द्वारा ही बताया गया था कि १०-१२ घुसपैठियों के शव देखे गए हैं तो फिर अब ये सात ही शव क्यों है ? ऐसी स्थिति में इस संभावना से कत्तई इंकार नही किया जा सकता कि बाकी घुसपैठियों के शव उनके साथी आकर लेते गए हों  ! अतः अब ये समझने में कोई समस्या नही होनी चाहिए कि भारत की सीमा में आकर घुसपैठियों के शव ले जाना पाकिस्तानी सेना के सहयोग के बिना कत्तई आसान नही है ! हालाकि भारतीय सेना द्वारा ये संदेह जरूर जताया जा रहा है कि इस घुसपैठ में पाकिस्तानी स्पेशल फ़ोर्स का हाथ हो सकता है, पर इस बात का सेना के पास फिलहाल कोई आधार नही है ! वैसे इस घुसपैठ को देखते हुए कुल मिलाकर एक बात तो साफ़ है कि भारत-पाक सीमा  को लेकर अभी किसी तरह से निश्चिंत नही हुआ जा सकता !
दैनिक जागरण राष्ट्रीय
  इस घुसपैठ के विषय में हमारी सेना और सियासी हुक्मरान भले ही पाकिस्तान की संलिप्तता को अभी तक शक के घेरे में रखे हों, पर कुछ ऐसे सवाल हैं जो इस घुसपैठ में पाक सेना की संलिप्तता को काफी हद तक पुख्ता करते हैं ! सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि बिना पाकिस्तानी सेना की शह के कोई भी पाक सीमा से भारतीय सीमा में कैसे घुस सकता हैं ? दूसरी चीज कि इन घुसपैठियों को रसद तथा लंबे समय तक भारतीय जवानों का सामना करने के लिए गोली-बंदूकें कहाँ से प्राप्त हो रही थीं ? जाहिर है कि बगैर पाक सेना की मदद के सिर्फ आतंकी संगठनों द्वारा इतने दिनों तक भारतीय सीमा में घुसकर भारतीय फ़ौज का मुकाबला करना किसी लिहाज से संभव नही है ! अतः साफ़ है कि ये घुसपैठी पाक सेना की शह पर ही भारतीय सीमा में घुसे थे और हो न हो इस घुसपैठ के पीछे इनका जरूर कुछ बड़ा उद्देश्य था ! ये सुखद है कि देर से ही सही, हमारे जवानों के हौसले के आगे इन घुसपैठियों के सारे नापाक इरादों ने दम तोड़ दिया और इनकी घुसपैठ की कोशिश नाकाम हो गई ! पर एक बात ये भी है कि भले ही ये घुसपैठ नाकाम हो गई हो, पर इस घुसपैठ को देखते हुए भविष्य में इस तरह की किसी गतिविधि से इंकार नही किया जा सकता ! इस नाते आवश्यक है कि हमारी सेना इस विषय में अत्यंत सजग रहें और हमारे नेता भी इस विषय में कुछ ठोस कदम उठाते हुए अपनी सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करें ! ध्यान रहे कि पाकिस्तानी सेना द्वारा इससे पहले भी सीमा पर युद्ध विराम के उल्लंघन की हरकतें की जाती रही हैं ! पर दुर्भाग्य कि पाकिस्तानी सेना की उन हरकतों को हमारे सियासी तबके द्वारा कभी संजीदगी से नही लिया गया और बस इसी कारण आज ये इतनी बड़ी घुसपैठ हुई ! अतः हमारे हुक्मरानों को चाहिए कि वो इस घुसपैठ से सबक लें और अपनी सीमा सुरक्षा के प्रति सजग हों !
  आज जरूरत इस बात की है कि हमारी सेना और ख़ुफ़िया ब्यूरो आदि मिलकर इस घुसपैठ में पाकिस्तानी भूमिका की गुप्त जांच करें और उसकी संलिप्तता पाए जाने पर उसे ससाक्ष्य विश्व समुदाय के सामने पेश करते हुए उसकी नापाक हरकतों का कच्चा-चिठ्ठा विश्व बिरादरी में खोले ! उल्लेखनीय होगा कि मुंबई हमलों से जुड़े तमाम सबूत हम अबतक पाकिस्तान को सौप चुके हैं, पर इसका कोई सकारात्मक परिणाम नही निकला है ! लिहाजा भारत को चाहिए कि वो उन सबूतों को विश्व समुदाय के समक्ष पेश करते हुए पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को उजागर करे ! साथ ही पाकिस्तान से किसी तरह की कोई भी बातचीत तबतक न की जाए जबतक कि वो अपनी ज़मीन से हमारे खिलाफ चल रही आतंकी गतिविधियों पर विराम लगाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नही करता है ! हमारी कोशिश होनी चाहिए कि पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा दबाव बने कि वो अपनी ज़मीन पर, खासकर सीमा पर स्थित आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को सैन्य कार्रवाई के द्वारा जल्द से जल्द नेस्तनाबूद करे ! क्योंकि अगर ऐसा हो जाता है तो फिर पाक प्रेरित आतंक के संबंध में भारत की चिंता काफी हद तक कम हो जाएगी ! इन सब चीजों के क्रियान्वयन के बाद ही हम इस तरह की घुसपैठों को रोक और सही मायने में अपनी सीमा को सुरक्षित मान सकते हैं ! वर्ना बड़े-बड़े बयान देने से कुछ नही होने वाला ! बहरहाल, इन सभी चीजों के लिए आवश्यक है कि हमारे सियासी हुक्मरान शांति के नाम पर हर समझौते के लिए तैयार रहने वाली अपनी घिसी-पिटी सोच को छोड़कर दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए इन बातो के क्रियान्वयन के लिए प्रयास करें ! क्योंकि बिना दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के इन सब बातों का कोई विशेष अर्थ नही है !

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