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अमर उजाला कॉम्पैक्ट |
गर्मियों के मौसम में ये आम बात है कि देश में हर
तरफ कम-ज्यादा बिजली कटौती होती रहती है । इस गर्मी भी देश की राजधानी दिल्ली समेत यूपी आदि तमाम राज्यों को भारी
बिजली कटौती की मार झेलनी पड़ रही है । अब सवाल ये उठता है कि आखिर वो क्या कारण
हैं कि प्रायः गर्मियों के दिनों में हमें बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है ? दरअसल,
इस कटौती का मूल कारण ये है कि हमारे पास हमारी जरूरत के अनुरूप पर्याप्त बिजली ही
नहीं है । ठंडी के मौसम में कूलर, पंखा, फ्रिज आदि उपकरणों का प्रयोग कम होने के
कारण बिजली की कम खपत होती है, इसलिए तब लोगों को पर्याप्त बिजली मिल जाती है ।
लेकिन गर्मियों में बिजली की खपत ज्यादा होती है, इस नाते लोगों को बिजली की कटौती
का सामना करना पड़ता है । दुर्भाग्य ये है कि हरबार सरकार की तरफ से इस बिजली कटौती
की समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाने की बजाय कुछ कामचलाऊँ उपायों के जरिये लोगों को फौरी राहत
दे दी जाती है । परिणामतः समस्या यथावत बनी रहती है और हर गर्मी लोगों को बिजली की
कटौती से जूझना पड़ता है । बिजली कटौती की इस समस्या से स्थायी निजात पाने के लिए
आवश्यक है कि देश में बिजली उत्पादन की मात्रा बढ़ाई जाएँ । लेकिन, इस संबंध में जो सबसे बड़ी समस्या
है वो ये कि कोयला आदि जिन पारम्परिक माध्यमों या स्रोतों से आज देश की अधिकाधिक बिजली
का उत्पादन होता है, वे सब सीमित होने और अनवरत दोहन के कारण धीरे-धीरे समाप्ती की
ओर बढ़ रहे हैं । एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया के ४० फिसदी कोयले की खपत केवल भारत
में ही हो जाती है और इसमे से अधिकाधिक कोयला बिजली उत्पादन में ही काम आता है ।
लेकिन, विद्रूप ये है कि ये कोयला २०३० तक लगभग समाप्त हो जाएगा । ऐसे में, बिजली
उत्पादन बढ़ाना तो दूर उसे लंबे समय तक यथावत कायम रखना ही चुनौती पूर्ण कार्य है ।
लिहाजा अगर हमें आज भी और भविष्य में भी अपनी विद्युत ऊर्जा की जरूरत को पूरा करना
है तो इसके लिए आवश्यक है कि ऊर्जा उत्पादन के पारंपरिक माध्यमों का अनवरत दोहन
करने की बजाय विद्युत ऊर्जा के नवीन
स्रोतों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए । विद्युत ऊर्जा के नवीन स्रोत न सिर्फ
अक्षय हैं, बल्कि पारम्परिक स्रोतों की अपेक्षा पर्यावरण को भी काफी कम हानि
पहुँचाने वाले हैं । सौर ऊर्जा, पनबिजली परियोजनाएं, पवनचक्की ऊर्जा आदि विद्युत
ऊर्जा उत्पादन के नवीन स्रोतों में प्रमुख हैं । इन स्रोतों पर अगर एक संक्षिप्त दृष्टि
डालते हुए इनकी कार्यशैली को समझने का प्रयास करें तो स्पष्ट होता है कि अगर
विद्युत ऊर्जा उत्पादन के इन नवीन स्रोतों को विकसित करने पर गंभीरता से ध्यान दिया
जाए तो इन स्रोतों के जरिए अनंत काल तक पूरी दुनिया की जरूरत से कहीं ज्यादा बिजली
पैदा की जा सकती है ।
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दैनिक जागरण |
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दैनिक ट्रिब्यून |
ऐसा नहीं है कि आज ऊर्जा के नवीन स्रोतों पर
बिलकुल भी काम नहीं हो रहा या आज दुनिया में उनके प्रति बिलकुल भी गंभीरता नहीं है
। बेशक, आज दुनिया के तमाम देशों में ऊर्जा के नवीन स्रोतों के कमोबेश इस्तेमाल से
ऊर्जा उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन नवीन स्रोतों से उत्पादित ऊर्जा की मात्रा
फ़िलहाल काफी कम है । पनबिजली परियोजना ऊर्जा के नवीन स्रोतों में वर्तमान में काफी
अधिक प्रयोग होने वाला स्रोत है । पनबिजली परियोजनाओं के द्वारा जल के धार में
मौजूद गतिज ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपांतरण करके बिजली प्राप्त की जाती है ।
आज पनबिजली बांधों के माध्यम से दुनिया की तकरीबन २० फिसदी विद्युत ऊर्जा का
उत्पादन होता है । अब अगर इस स्रोत को विकसित तथा विस्तारित करने की तरफ गंभीरता
से ध्यान दिया जाए तो इसके जरिए अन्य पारम्परिक स्रोतों की अपेक्षा बेहद कम
प्रदूषण में काफी अधिक विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है । इसके अलावा
ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति का एक अन्य नवीन और अक्षय स्रोत सौर ऊर्जा भी है । सौर
ऊर्जा तो अक्षय ऊर्जा का ऐसा स्रोत या यूँ कहें कि प्रकृति का ऐसा अनूठा वरदान है,
जिसके प्रति गंभीर होते हुए अगर मानव जाति इसके उपयोग की सही, सहज और सस्ती तकनीक
विकसित कर ले तो सम्पूर्ण विश्व की ऊर्जा जरूरत से कहीं ज्यादा ऊर्जा प्राप्त की
जा सकती है । सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिहाज से दुनिया के अधिकांश देशों की
अपेक्षा भारत की स्थिति बेहद अनुकूल है, क्योंकि यहाँ वर्ष के अधिकत्तर महीनों में
सूर्य का तापमान अधिक तीव्रता के साथ उपलब्ध रहता है । लिहाजा, अगर सही तकनीक हो
तो सूर्य के जरिए पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है । आज सौर ऊर्जा का
सर्वाधिक उपयोग विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करके किया जा रहा है । सौर ऊर्जा का
विद्युत ऊर्जा में रूपांतरण करने के लिए आज फोटोवोल्टेइक सेल की जिस तकनीक का
इस्तेमाल किया जाता है, वो जरूरत के लिहाज से बेहद महंगी है । इसलिए इस तकनीक के
सहारे अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन करना घाटे का ही सौदा लगता है । लिहाजा, जरूरत ये है कि सौर ऊर्जा के उपयोग के
लिए सस्ती तकनीक विकसित की जाए और ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए सौर ऊर्जा पर
निर्भरता बढ़ाई जाए । सौर ऊर्जा के अतिरिक्त पवन ऊर्जा भी ऊर्जा उत्पादन का एक नवीन
और बेहतरीन माध्यम है । ये भी सौर ऊर्जा की तरह ही ऊर्जा प्राप्ति का अक्षय स्रोत
होने के साथ-साथ प्रदूषण रहित भी है । इसके अंतर्गत पवनचक्कियों को हवादार स्थानों
में लगाया जाता है और फिर जब वे हवा के जोर से घूमने लगती हैं, तो हवा की उस गतिज
ऊर्जा को यांत्रिक अथवा विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर दिया जाता है । हालांकि
मूलतः इस ऊर्जा का उत्पादन तकनीक से ज्यादा वायु पर निर्भर है, जितनी तेज और
ज्यादा वायु मिलेगी, इस तकनीक से उतनी ज्यादा ऊर्जा प्राप्त की जा सकेगी । कहने का
अर्थ है कि इस तकनीक के लिए पेड़-पौधों आदि
से भरे-पूरे क्षेत्र की ही जरूरत होती है । नवीन ऊर्जा स्रोतों में ये सर्वाधिक
प्रयोग किया जाने वाला माध्यम है ।
उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है कि
अगर दुनिया को आने वाले समय में ऊर्जा व
पर्यावरणीय संकट से बचना है तो उसे ऊर्जा के नवीन स्रोतों के प्रति पूरी
तरह से गंभीर होना होगा । इस संबंध में आज इस स्तर पर प्रयास किए जाने की जरूरत है
कि दुनिया की अधिकाधिक ऊर्जा जरूरतें ऊर्जा के पारम्परिक स्रोतों से इतर केवल नवीन
माध्यमों, विशेषतः सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से पूरी की जा सकें । इसके लिए आवश्यक
है कि इस दिशा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक निवेश बढ़ाते हुए शोध तथा
आविष्कार को बढ़ावा दिया जाए ।
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