शनिवार, 12 अप्रैल 2014

लघुकथा : लिटमस टेस्ट [त्रैमासिक पत्रिका 'हिंदी चेतना' में प्रकाशित]

  • पीयूष द्विवेदी भारत 

हिंदी चेतना 
"प्रेमहीन जीवन शून्य है, ये मुझे बेहतर पता है इसलिए उसकी पीड़ा को समझता हूं "  आकाश  शून्य की ओर देखते हुवे प्रतीक से बोला
"किसकी पीड़ा? तुम्हारी प्रेमिका?" प्रतीक बोला
"ना! एक मित्र है, बहुत प्रेम करता है एक से, पर कह नही पा रहा है "
कौन मित्र?”
“अभिनव, कॉलेज वाला...
“जानता हूं किसको चाहता है? रहती कहाँ है?”
“जैसा कि उसने बताया है, तुम्हारे ही मोहल्ले में
“क्या बात कर रहे हो, ऐसा है, तब तो तुम्हारे दोस्त की समस्या हल..” अबकी प्रतीक उत्तेजित था
“पता नही ! आसान नही लगता
“आसान कर देंगे दो प्रेमियों को मिलाने से बड़ा पुण्य क्या पर प्रेमिका का नाम तो बताओ?”
“अनुराधा....!”

“क्या, उसकी इतनी हिम्मत, जिन्दा नही छोडूंगा कमीने को, खून कर दूँगा !” प्रतीक अचानक गुस्से में आ गया था अनुराधा उसकी बहन का नाम था

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें