- पीयूष द्विवेदी भारत
गत दिनों उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में विश्वस्तरीय फिल्म सिटी बनाने की घोषणा की थी और अब सरकार इस दिशा में तेजी से बढ़ती हुई भी नजर आ रही है। नोएडा में एक हजार एकड़ में यह फिल्म सिटी बननी निश्चित हुई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस परियोजना में विशेष रुचि ले रहे हैं, जिसका अंदाजा इस सम्बन्ध में उनके द्वारा की गयी बैठकों से लगाया जा सकता है। अपने अधिकारियों के साथ तो वे बैठक कर ही रहे, पिछले दिनों फिल्म जगत के कई दिग्गज कलाकारों के साथ भी उन्होंने इस परियोजना को लेकर चर्चा बैठक की थी। फिल्म सिटी के लिए विश्वस्तरीय सलाहकार कंपनी का चयन करने के लिए निविदा जारी करने पर भी चर्चा चल रही है। ख़बरों के मुताबिक़, मुख्यमंत्री योगी चाहते हैं कि यथाशीघ्र इसकी औपचारिकताएं पूरी कर फिल्म सिटी के निर्माण का काम शुरू कर दिया जाए।
दरअसल यूपी में फिल्म सिटी बनाने की बात दो हजार के दशक
से ही हो रही है। 1993 में यह बात उठी लेकिन हुआ कुछ नहीं। इसी प्रकार अखिलेश सरकार के कार्यकाल
में भी फिल्म सिटी का विषय आया था, लेकिन कुछ भी ठोस रूप में आकार नहीं ले सका।
राज्य की फिल्म नीति में फिल्म सिटी की घोषणा मिलती है। अब योगी सरकार की सक्रियता
देखकर उम्मीद जगती है कि शायद अबकी यह घोषणा सिर्फ घोषणा बनकर ही न रहे। यूँ तो अभी यूपी में फिल्म सिटी का काम
प्राथमिक चरण में ही है, लेकिन एकबार के लिए यदि मान लें कि सरकार की सक्रियता से राज्य
में फिल्म सिटी बनकर खड़ी हो जाएगी तो भी ऐसी कई बातें हैं, जिनपर काम किए बिना फिल्म सिटी के
बहुत सफल होने की संभावना नहीं है।
दैनिक जागरण |
उत्तर प्रदेश में 1999 में फिल्म नीति की घोषणा की
गयी थी, जिसमें वर्तमान सरकार ने हाल ही में कुछ संशोधन कर नयी नीति जारी की है।
इस फिल्म नीति का उद्देश्य ‘उत्तर प्रदेश में फिल्म उद्योग के समग्र विकास हेतु एक
सुसंगठित ढांचा और एवं उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराना’ निर्धारित किया गया है। इस
उद्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य सरकार ने ‘उप्र फिल्म बंधु’ का गठन किया है,
जिसका दायित्व फिल्म-निर्माण के लिए उपयुक्त वातावरण सृजित कर, फिल्म संबधी
गतिविधियों को बढ़ावा देकर प्रदेश को फिल्म निर्माण के हब के रुप में विकसित करना
है। इसके अलावा नयी फिल्म नीति में राज्य में फिल्म प्रशिक्षण की व्यवस्था से लेकर
स्टूडियो-लैब जैसी व्यवस्थाएं स्थापित करने की बात भी कही गयी है, लेकिन धरातल पर यह
चीजें कब उतरेंगी, कहा नहीं जा सकता। फिलहाल होता केवल ये दिख रहा है कि कम बजट
वाली फिल्मों के निर्माता यूपी में शूटिंग कर राज्य सरकार से सब्सिडी बटोरने में
लगे हैं। इस साल की शुरुआत में ही फिल्म विकास परिषद और यूपी फिल्म बंधु द्वारा
हिंदी-भोजपुरी की बाईस फिल्मों को ग्यारह करोड़ की सब्सिडी आवंटित की गयी है। फिल्म
निर्माता-निर्देशक फिल्मों की कुछ शूटिंग यूपी में करते हैं, सब्सिडी लेते हैं और
फिर ‘पोस्ट प्रोडक्शन’ का काम मुंबई में करवाने निकल जाते हैं, क्योंकि राज्य में इसके
लिए जरूरी व्यवस्था अभी नहीं बन पाई है। ऐसे में राज्य को शूटिंग का कोई लाभ नहीं
मिल पाता।
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