गुरुवार, 17 सितंबर 2020

आत्मनिर्भर भारत ही है चीन का जवाब

  • पीयूष द्विवेदी भारत

विश्व को कोविड-19 जैसी महामारी में झोंक देने के बाद भी चीन की शैतानियों पर कोई लगाम लगती नहीं दिख रही। अब खुलासा हुआ है कि चीन की सेना से संबधित झेन्हुआ डाटा इंफॉरमेशन टेक्‍नॉलजी नामक कंपनी दुनिया भर के अति महत्वपूर्ण चौबीस लाख लोगों की जासूसी कर रही थी। इनमें भारत, आस्ट्रेलिया और अमेरिका के बहुत ही महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी शामिल है। भारत की बात करें तो यहाँ के दस हजार लोगों व संगठनों की जासूसी इस कम्पनी ने की थी, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व व वर्तमान के 40 मुख्यमंत्री, 350 सांसद, कानून निर्माता, विधायक, मेयर, सरपंच और सेना से जुड़े करीब 1350 लोग शामिल हैं। देश की रीति-नीति और रक्षा के शीर्ष पर मौजूद इन लोगों की एक शत्रु राष्ट्र द्वारा जासूसी की बात किसी भी देशवासी को हिला देने के लिए काफी है। यह चिंता इसलिए और अधिक हो जाती है कि ये चीनी कंपनी वहाँ की सेना के लिए काम करती है। इस जासूसी के दौरान लोगों की जन्‍मतिथि, पते, वैवाहिक स्थिति, फोटो, राजनीतिक जुड़ाव, रिश्‍तेदार और सोशल मीडिया आईडी आदि शामिल हैं। हालांकि प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, इनमें से ज्यादातर लोगों की सूचनाएं ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन, इंस्‍टाग्राम और टिकटॉक अकाउंट जैसे ओपन सोर्स ली गयी थीं, लेकिन कुछ लोगों के बैंक खातो तक की भी कंपनी ने जासूसी की है।

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट

दरअसल आज के इस तकनीक प्रधान युग में जब इंटरनेट के विविध माध्यमों पर लोगों की सक्रियता बढ़ती जा रही है, उसने डाटा की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ाई है। यह चिंता इसलिए और अधिक हो जाती है, क्योंकि स्मार्टफोन और एपों के बाजार में चीन का भारी वर्चस्व है। भारतीय एप बाजार में चीनी एपों का चालीस प्रतिशत कब्जा है, जिसमें अबतक साल दर साल वृद्धि ही होती आई थी। लेकिन पिछले दिनों सीमा पर चीन से हुई तनातनी के कारण भारत सरकार द्वारा द्वारा चीन के 177 (पहले 59 फिर 118) एपों को देश में प्रतिबंधित कर दिया गया। इन एपों पर प्रतिबन्ध लगाते हुए सरकार ने तब सुरक्षा कारणों का हवाला दिया था। आज जब यह जासूसी काण्ड सामने आया है, तो उसने सरकार की आशंका को प्रमाणित कर दिया है। हालांकि इस जासूसी में ज्यादातर जानकारियाँ फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ट्विटर, लिंक्डइन वगैरह ओपन सोर्स से ही ली गयी हैं, लेकिन तब भी चीन का जो चरित्र है, उसे देखते हुए यह कहना कठिन है कि वो अपने अन्य एपों का जासूसी के लिए इस्तेमाल नहीं करता होगा। समग्रतः चीन का किसी भी स्थिति में भरोसा नहीं किया जा सकता। सैन्य मोर्चे पर चीन का विश्वासघाती व्यवहार 1962 से चला आ रहा है, जिसका हालिया उदाहरण अभी लद्दाख में भी सामने आया था। अतः अन्य मोर्चों पर उससे सावधान रहने की आवश्यकता है। चीनी एपों पर प्रतिबंध इस दिशा में एक अच्छा कदम है, जिसे धीरे-धीरे उस स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है कि देश में चीन का कोई एप न रह जाए। ऐसा होने से हम डाटा की जासूसी जैसे संकटों से तो बचेंगे ही, चीन को आर्थिक रूप से भी गहरी चोट पहुंचेगी

सैन्य मोर्चे पर चीन का जवाब देने में हमारी सेना सक्षम है, लेकिन मौजूदा हालात में इस तरह के किसी बड़े टकराव की संभावना न के बराबर है। आज लड़ाई की जमीन आर्थिक हो चुकी है और चीन अपने उत्पादों से भारतीय बाजारों पर कब्जा जमाकर इस दिशा में बढ़त बनाए हुए है। आज देश में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से लेकर बच्चों के खिलौनों तक के मामले में चीनी कंपनियों का वर्चस्व है। एप और गेमिंग के बाजार में भी चीन ने अपनी धाक जमा रखी है। जबतक देश से चीन का यह आर्थिक वर्चस्व समाप्त नहीं होता, भारत के लिए उससे पार पाना आसान नहीं होगा।

देश में एक वर्ग चीनी उत्पादों के बहिष्कार को इस समस्या के समाधान के रूप में देखता है और इसे लेकर लगातार माहौल बनाने की कोशिश भी होती है। ऐसे बहिष्कार अभियानों का तबतक कोई लाभ नहीं है, जबतक कि देश में चीनी उत्पादों का विकल्प तैयार करने की दिशा में काम नहीं किया जाता। इसी स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीस लाख करोड़ के पैकेज के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की है। 

यदि चीनी उत्पादों का बेहतर भारतीय विकल्प तैयार करने लगते हैं,  तो न तो उनपर प्रतिबन्ध लगाने की जरूरत रहेगी और न ही बहिष्कार करने की। लोग स्वतः उन्हें छोड़ देशी उत्पादों का रुख करने लगेंगे। सरकार ने अपने स्तर पर आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाकर दृढ़ इच्छशक्ति का परिचय दे दिया है और अपनी मंशा भी स्पष्ट कर दी, अब देश के नागरिकों का दायित्व है कि वे आत्मनिर्भरता के इस अभियान को अपने कंधों पर आगे बढ़ाएं। सरकार और नागरिकों के संयुक्त प्रयास से ही आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न साकार होगा और यह आत्मनिर्भरता ही चीन का जवाब होगी।   

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