- पीयूष कुमार दुबे
इस
साल भारतीय अंग्रेजी लेखकों की कई किताबें लोकप्रिय हुई हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख
किताबों की चर्चा निम्नवत है:
द गर्ल इन रूम 105 : भारत के युवा वर्ग में खासे लोकप्रिय अंग्रेजी लेखक चेतन भगत की यूँ तो हर किताब ही चर्चा में रहती है, लेकिन इस साल प्रकाशित उनका उपन्यास ‘द गर्ल इन रूम 105’ इस कारण विशेष रूप से चर्चित रहा कि इसमें उन्होंने रोमांस के अपने सुरक्षित घेरे से बाहर निकलकर सस्पेंस थ्रिलर लिखने की कोशिश की है। आजकल काफी चर्चित हिन्दू-मुस्लिम का एंगल भी कहानी में डाला गया है। कुल मिलाकर रहस्य-कथाओं में रुचि लेने वाले पाठकों के लिए यह एक पठनीय किताब है।
पैराडाइस टावर्स : अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नंदा बच्चन का यह पहला उपन्यास हार्पर कॉलिन्स से आया है। इस उपन्यास का कथानक मुंबई के एक काल्पनिक अपार्टमेंट में रहने वाले अलग-अलग धर्मों व क्षेत्रों के लोगों के जीवन पर आधारित है।
श्याम – एन इलस्ट्रेटेड रिटेलिंग ऑफ़ भागवत : पौराणिक कथाओं और चरित्रों पर लिखने के लिए प्रसिद्ध देवदत्त पटनायक की यह किताब इस साल की उल्लेखनीय किताबों में से है। इसमें लेखक ने श्रीमद्भागवत में वर्णित कृष्ण-कथा को सरल और सहज ढंग से युगानुकूल स्वर देते हुए प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
ट्रेजर ऑफ़ शार्ट स्टोरीज : यह पुस्तक इस मायने में विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इसकी लेखिका अनंतिनी मिश्रा मात्र दस वर्ष की हैं। यह एक कहानी संग्रह है। लेखिका द्वारा अपने आसपास के वातावरण और व्यक्तिगत अनुभवों में कल्पना का पुट डालकर लिखी गयी ये कहानियाँ बच्चों के लिए मनोरंजक होने के साथ-साथ संदेशप्रद भी हैं।
पायजामाज आर फॉरगिविंग : अभिनय के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकीं ट्विंकल खन्ना कुछ समय से लेखन की दुनिया में हाथ आजमाने में लगी हैं। ‘पायजामाज आर फॉरगिविंग’ उनकी तीसरी किताब है। ट्विंकल के इस उपन्यास में नींद की बीमारी से ग्रस्त एक औरत के अपने पूर्व पति से मिलने जाने के दौरान घटित नाटकीय घटनाक्रमों की कहानी है।
कीपर्स ऑफ़ द कालचक्र : अपनी ऐतिहासिक और मिथकीय रहस्य कथाओं के लिए प्रसिद्ध आश्विन संघी का उपन्यास ‘कीपर्स ऑफ़ द कालचक्र’ इस वर्ष के आरम्भ में आया। आश्विन संघी के पिछले उपन्यासों की ही तरह इस उपन्यास की कथावस्तु का दायरा भी अत्यंत व्यापक है, जिसके अंतर्गत अमेरिकी चुनाव से लेकर कारगिल युद्ध और नालंदा विश्वविद्यालय के विनाश से लेकर राम के लंका गमन तक विविध विषयों का समावेश मिलता है।
द रूल ब्रेकर – प्रीती शेनॉय का यह उपन्यास स्त्रियों के अपने जीवन से जुड़े निर्णय लेने के अधिकार, लैंगिक समानता जैसे प्रश्नों को तो उठाता ही है, ‘अरेंज मैरिज’ की व्यवस्था पर भी कहीं न कहीं प्रश्न खड़े करता है। यह नब्बे के दशक की एक तेजतर्रार और सपने देखने वाली लड़की की कहानी है, जो शादी की बात आने पर फँसा हुआ महसूस करने लगती है।
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