मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

पुलिस की कार्रवाई पर बेजां हंगामा [दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित]

  • पीयूष द्विवेदी भारत 

दैनिक जागरण 
हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या का मामला थमने का नाम लेता नहीं दिख रहा। विगत ३० जनवरी को यह मामला फिर चर्चा में तब आया जब कुछ छात्र संगठनों के लोग दिल्ली के झंडेवालान स्थित संघ कार्यालय पर रोहित की आत्महत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे। यहाँ पुलिस द्वारा उन्हें रोकने का प्रयास किया गया जिसमे दोनों पक्षों के बीच कुछ खींचतान और हाथापाई भी हुई। आख़िरकार पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित कर लिया गया। अब बवाल तब मचा, जब इस पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो सामने आया। वीडियो में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को पीटते दिखाया गया है। इस वीडियो के आने बाद उन छात्र संगठनों और विपक्ष आदि के द्वारा दिल्ली पुलिस से लेकर केंद्र सरकार पर तक तरह-तरह के आरोप लगाए जाने लगे हैं। वीडियो में कुछ महिला प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई से लेकर पुलिस से इतर एक अन्य व्यक्ति द्वारा प्रदर्शनकारियों की पिटाई आदि अनेक विन्दुओं को आधार बनाकर विपक्षियों द्वारा पुलिस और सरकार को घेरा जा रहा है। अक्सर दिल्ली पुलिस को अपने हवाले करने की मांग करने वाले और दिल्ली पुलिस से खुन्नस खाए हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल महोदय को तो जैसे इस मामले के बाद बिन मांगे मुराद मिल गई हो। मामला सामने आने के बाद उन्होंने ट्विट किया कि भाजपा और संघ द्वारा दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल ‘प्राइवेट आर्मी’ की तरह किया जा रहा है। ऐसे ही और भी कई लोगों द्वारा इस वीडियो के आधार पर पुलिस और केंद्र सरकार को निशाने पर लिया जा रहा है। हालांकि पुलिस की तरफ से वीडियो की प्रमाणिकता को लेकर संदेह व्यक्त किया गया है। लेकिन, यदि यह वीडियो सही भी है तो इस पूरे प्रकरण में जितनी गलती पुलिस की है, उतनी या उससे कुछ अधिक ही प्रदर्शन करने उतरे छात्रों की भी है। कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारी शांति से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस ने उनपर कार्रवाई कर दी, जबकि इसी प्रदर्शन का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमे यही प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बेहद अपमानजनक अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। किसी भी व्यक्ति के प्रति अपशब्द का प्रयोग अनुचित है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसा कत्तई  नहीं किया जा सकता। लेकिन ये प्रदर्शनकारी तो चुनौती भरे अंदाज़ में देश के प्रधानमंत्री के प्रति बेहद अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। ऐसा करते वक्त प्रदर्शनकारी शायद ये भूल गए थे कि जो संविधान उन्हें अभिव्यक्ति का अधिकार देता है, उसी संविधान के तहत मोदी देश के प्रधानमंत्री चुने गए हैं। अतः उनके प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग केवल उनका नहीं, देश और संविधान दोनों का अपमान है। ऐसा अभद्र और बेतुका विरोध करने वाले अराजक विरोधियों को  नियंत्रित करने के लिए यदि पुलिस ने कोई कार्रवाई की तो उसे बहुत गलत नहीं कहा जा सकता। विरोध प्रदर्शन के नाम पर ऐसी अभद्रता और अराजकता मचाने वालों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए।
  दूसरी चीज कि रोहित वेमुला ने आत्महत्या की तो उससे संघ का क्या सम्बन्ध था कि ये प्रदर्शनकारी  संघ कार्यालय के सामने विरोध करने पहुँच गए ? इसीसे स्पष्ट होता है कि इस विरोध का न तो कोई स्वरुप था और न ही कोई उद्देश्य। छात्रों का यह विरोध पूरी तरह निराधार और अतार्किक था। इसके अलावा विरोधियों की तरफ से ये जो तर्क दिया जा रहा है कि पुलिस ने महिलाओं के साथ भी मार-पीट की तो प्रश्न यह है कि क्या महिलाएं प्रदर्शनकारियों का हिस्सा नहीं थीं ? निश्चित ही महिलाएं भी प्रदर्शन कर रही थीं और इसलिए उन्हें भी प्रदर्शकारियों पर हुई कार्रवाई का हिस्सा बनना पड़ा। अब अगर कार्रवाई से इतना ही परहेज था तो महिलाओं को प्रदर्शन में उतरना ही नहीं चाहिए था। महिला-पुरुष समानता की बात करने वाले समाज का महिलाओं पर हुई कार्रवाई को  विशेष रूप से रेखांकित करना समझ से परे है। वहां महिला-पुरुष सब प्रदर्शनकारी थे, इसलिए सबको कार्रवाई का सामना करना पड़ा। इसमें बवाल मचाने या सरकार पर सवाल उठाने जैसा कुछ नहीं है। लेकिन ऐसा किया जा रहा है तो उसके पीछे सिर्फ राजनीतिक कारण ही जिम्मेदार हैं।
  कुल मिलाकर स्पष्ट है कि बात कुछ नहीं है, मगर फिर भी कुछ लोगों द्वारा येन-केन-प्रकारेण जबरन रोहित मामले को चर्चा में रखा जा रहा है। जैसे कि ये मामला यदि दब गया तो उन कुछ विशेष विचारधारा के लोगों को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाएगा। गौर करें तो रोहित की तरह कॉलेज प्रशासन से पीड़ित छात्रों की आत्महत्या के तमाम मामले सामने आते रहते हैं, उनकी कोई चर्चा नहीं होती। लेकिन विचारधारा विशेष के लोगों द्वारा इस मामले को सिर्फ इसलिए उठाया जा रहा है कि इसके जरिये वे अपने मोदी सरकार के अंधविरोध के मृतप्राय हो रहे एजेंडे को जारी रख सकें। बस इसीलिए वे किसी न किसी तरह से इस मामले को लेकर बवाल मचाने में लगे हुए हैं।

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