बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

पाकिस्तानी नाव पर इतना हंगामा क्यों [दैनिक जागरण राष्ट्रीय में प्रकाशित]



  • पीयूष द्विवेदी भारत

३१ दिसंबर को भारतीय समुद्री सीमा में पकड़े जाने पर खुद को उड़ा लेने वाली तथाकथित पाकिस्तानी नाव के मामले में कोस्टगार्ड के डीआईजी लोशाली के एक बयान के बाद अब नया मोड़ आ गया है। एक अंग्रेजी अख़बार ने डीआईजी लोशाली के एक बयान का वीडियो जारी किया है जिसमे वे कह रहे हैं कि उनके आदेश पर उस पाकिस्तानी नाव को उड़ाया गया था, क्योंकि वे पाकिस्तानियों को बिरयानी नहीं खिलाना चाहते। हालांकि बाद में लोशाली अपने इस बयान से पलट गए और उन्होंने ऐसी किसी भी बात से इंकार कर दिया है, लेकिन उनके इस पलटने के पीछे सरकार के दबाव और ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोशिश को कारण माना जा रहा है। तिसपर कोस्टगार्ड ने भी लोशाली के बयान से किनारा करते हुए वीडियो जारी कर सबूत देने का दावा किया है कि उन्होंने नाव को नष्ट नहीं किया था। बहरहाल, इसी सन्दर्भ में अगर एक संक्षिप्त दृष्टि इस पूरे मामले पर डालें तो विगत वर्ष ३१ दिसंबर को ख़ुफ़िया एजेंसियों को पाकिस्तान के केटी बंदरगाह से कुछ आपत्तिजनक सामानों के साथ एक नाव के निकलने की सूचना मिली। इस सूचना के आधार पर भारतीय कोस्टगार्ड ने तलाश शुरू कर दी, जिस दौरान गुजरात के पोरबंदर से ३६५ किमी दूरी पर एक नाव दिखी। कोस्टगार्ड के जहाज ने उस नाव को रोकने की कोशिश की तो वो वापस भागने लगी, लेकिन कोस्टगार्ड के जहाजों ने उसे सब तरफ से घेर लिया। तब थोड़ी देर में नाव पर सवार लोगों ने नाव को विस्फोट के जरिये उड़ा दिया। यही कहानी इस मामले के बाद सरकार की तरफ से देश के सामने रखी गई थी, जिसपर तब भी कई सवाल उठे थे।  लेकिन अब कोस्टगार्ड के डीआईजी लोशाली का जो बयान सामने आया है, वो इस मामले की एक अलग ही तस्वीर पेश कर रहा है। लोशाली के बयान के सामने आने के बाद इस मामले में पहले से ही संदिग्ध दृष्टी से देखि जाती रही भारत सरकार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। चूंकि, इस मामले की शुरुआत में सरकार की तरफ से कहा गया था कि उस नाव में सवार लोगों ने ही उसे उड़ा लिया, लेकिन वीडियो लोशाली कह रहे हैं  कि उनके आदेश पर नाव को उड़ाया गया था। अब लोशाली के इस बयान के बाद रक्षामंत्री चाहें जितना कहें कि लोशाली गलत कह रहे हैं और उनके बयान की जांच होगी, लेकिन उनकी यह बात सरकार को लोशाली के उक्त बयान से उपजे सवालों से नहीं बचा सकती। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि सरकार और लोशाली में आखिर कौन सच बोल रहा है ? और आखिर इस मामले की हकीकत क्या है ?
दैनिक जागरण
   वैसे, विचार करें तो लोशाली का उक्त बयान सरकार के लिए गले की हड्डी भले साबित हो रहा हो, लेकिन सरकार से पहले अपने इस बयान के कठघरे में खुद लोशाली ही हैं। गौर करें तो यह मामला पिछले साल ३१ दिसंबर यानी कि अब से लगभग डेढ़ महीने पहले का है, तो फिर लोशाली अबतक चुप क्यों थे ? क्यों नहीं शुरू में ही अपनी बात देश के सामने रख दिए ? अब अगर यह मान लें कि लोशाली किसी उच्चस्तरीय  दबाव के कारण यह बात सार्वजनिक नहीं किए तो यह उनकी कमजोर इच्छाशक्ति और नैतिक पतन का ही सूचक है। इस स्थिति में वो अपने फर्ज से बेईमानी करने वाले व्यक्ति हो जाते हैं। इन सबके बाद एक अख़बार के माध्यम से ही सही, अब जब उनका बयान सार्वजनिक हो गया है तो वे उससे पलट क्यों रहे हैं ? अख़बार द्वारा साझा वीडियो में लोशाली अपने आदेश पर नाव के उडाए जाने की बात कहते हुए स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं, इसके बाद भी इस बयान से इंकार कर आखिर वो क्या सिद्ध करना चाहते हैं ? कुल मिलाकर लोशाली का यह आचरण उनके व्यक्तित्व पर तो कालिख पोत ही रहा है, भारतीय नौ सेना के लिए शर्म का विषय भी बन रहा है।
   कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस मामले में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि ‘श्रीमान रक्षा मंत्री, बड़ा पाप क्या है, पाक बोट को उड़ाना या देश से झूठ बोलना? अगर वे असल में आतंकवादी थे तो उन्हें धमाके में उड़ाने पर शर्मसार क्यों होना ?' मनीष तिवारी की यह बात शत-प्रतिशत सही है। मोटे तौर पर देखें तो इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे किसी कारणवश सार्वजनिक करने से परहेज किया जाय। अब चूंकि, यह तो निश्चित है कि वह नाव संदिग्ध लोगों व आपत्तिजनक साजो-सामान से लैस थी। क्योंकि, एक तो वह देर रात के समय पाई गई, दूसरे उसमे मौजूद लोगों ने कोस्टगार्ड की चेतावनी को भी अनदेखा किया और वापस भागने लगे...इन बातों से स्पष्ट है कि उस नाव में मौजूद लोग गलत इरादे से ही चले थे और जब कोस्टगार्ड के हत्थे चढ़ गए तो जान बचाकर भागने लगे। यह बातें कहीं न कहीं इस तथ्य को पुख्ता ही करती हैं कि उस नाव में और कोई नहीं २६/११ जैसे किसी बड़े हमले को अंजाम देने के लिए आए आतंकी ही आए थे। अब जब यह लगभग स्पष्ट है कि उस नाव मे आतंकी थे, तो फिर सरकार से लेकर कोस्टगार्ड तक इस मामले में इतनी ऊहापोह क्यों मची है ? यदि सरकार के पक्षानुसार नाव में मौजूद लोगों ने खुद ही नाव को उड़ा लिया तो भी और यदि लोशाली के कथनानुसार कोस्टगार्ड ने नाव को नष्ट कर दिया तो भी...इन दोनों ही स्थितियों में कुछ भी गलत नहीं हुआ है। सीधी बात यह है कि उस नाव में गलत मंशूबों के साथ आए लोग थे, जो कि हमारे ख़ुफ़िया एजेंसियों व कोस्टगार्ड के जवानों की मुस्तैदी के कारण अपने गलत मंशूबों के साथ ही नष्ट हो गए। अब आतंकियों के मारे जाने में इतनी ऊहापोह क्यों कि वो कैसे मारे गए – उन्हें कोस्टगार्ड ने मारा या उन्होंने खुद ही खुद को नष्ट कर लिया ? इन प्रश्नों से कोई फर्क नहीं पड़ता – वे चाहें जैसे भी मारे गए हों, उनका मारा जाना देश के लिए अच्छा ही है। अतः उचित होगा कि इस मामले में इतनी उहापोह न की जाय और जो सही बात है, उसे देश के सामने रख दिया जाय। यह न सिर्फ सरकार बल्कि भारतीय नौ सेना की विश्वसनीयता के लिए भी आवश्यक है।

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