शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

विदेशी पर्यटकों में कमी चिंता का विषय [नेशनल दुनिया, अमर उजाला कॉम्पैक्ट और दैनिक जागरण राष्ट्रीय में प्रकाशित]

  • पीयूष द्विवेदी भारत
नेशनल दुनिया
अतिथि के प्रति आदर का भाव भारतीय संस्कृति की मुख्य बातों में से एक है हमारे शास्त्रों में अतिथि देवो भवः के द्वारा अतिथियों की तुलना देवताओं से करते हुए अतिथि के प्रति विशेष सम्मान रखने की ही बात समझाने का प्रयास किया गया है अतिथि देवो भवः की इस सनातन उक्ति को अगर वर्तमान समय के संदर्भ में देखें तो आज के इस बाजारवादी युग में जब हर चीज हानि-लाभ के तराजू में तोली जाने लगी है, अतिथि सम्मान भी इससे अछूता नही रहा है आज अतिथि सम्मान किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पर्यटन उद्द्योग बन चुका है भारत समेत दुनिया का लगभग हर विकसित विकासशील देश आज पर्यटन उद्द्योग को लेकर अत्यंत गंभीर सजग है भारत में तो यह तीसरा सबसे बड़ा सेवा उद्योग है इस  उद्द्योग के संबंध में भारत की गंभीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार में बाकायदा इसके लिए पर्यटन मंत्रालय एक नोडल एजेंसी के रूप में सक्रिय है जिसका कार्य भारत में पर्यटन उद्द्योग का विकास संवर्द्धन करना है मुख्यतः इसके अंतर्गत पर्यटन में निवेश की नीतियां कार्यक्रम बनाना तथा केन्द्र राज्य सरकार के पर्यटन संबंधी कार्यक्रमों आदि का समन्वय करना आता है पर्यटन उद्द्योग के प्रति भारत की इस गंभीरता को और अच्छे से समझने के लिए हमें भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे होने वाले लाभ के विषय में थोड़ा गहराई से जानना-समझना होगा एक आंकड़े की मानें तो भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्द्योग द्वारा प्रतिशत से अधिक का बड़ा  योगदान दिया जाता है साथ ही भारत के कुल रोजगार में भी इसका तकरीबन फिसदी योगदान है इन आंकड़ों को देखते हुए कहना गलत नही होगा कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन उद्द्योग का अपना एक अलग और अत्यंत लाभकारी महत्व है यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि पर्यटन उद्द्योग से होने वाले इस लाभ का एक बड़ा हिस्सा हमें विदेशी पर्यटकों से प्राप्त होता है दर्शनीय पर्यटन स्थलों के कारण भारत की तरफ विदेशी पर्यटकों का खासा रुझान रहता है, जिससे कि भारत में विदेशी मुद्रा की बड़ी आवक होती है इसी संदर्भ में एक रिपोर्ट पर गौर करें तो भारत में प्रतिवर्ष लगभग मिलियन विदेशी पर्यटक आते हैं, जिनसे कि भारतीय पर्यटन उद्द्योग को तकरीबन ११ बिलियन डॉलर की कमाई होती है इस आंकड़े से साफ़ है कि भारतीय पर्यटन उद्द्योग के लाभ का एक बड़ा हिस्सा विदेशी पर्यटकों के कारण होता है ऐसे में अगर विदेशी पर्यटकों की आवक में कमी होने लगे तो ये निश्चित ही बड़ी चिंता का विषय है इसी संदर्भ में एक आंकड़े पर गौर करें तो सन २०११ में भारत में विदेशी पर्यटकों के आने की दर में फीसद की बढ़ोत्तरी हुई थी जो कि साल २०१२ में फीसद और २०१३ में फीसद पर पहुँच गई साफ़ है कि साल दर साल भारत में विदेशी पर्यटकों का आना कम होता जा रहा है ऐसे में ये अत्यंत सोचनीय है कि अगर इसी तरह से भारत के प्रति विदेशी पर्यटकों का लगातार मोहभंग होता रहा, तो आने वाले समय में ये भारतीय पर्यटन उद्द्योग के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है इस उद्द्योग से रोजगार पाने वाले बहुतायत लोगों द्वारा इस विषय में अभी से चिंता जताई जाने लगी है कि अगर विदेशी पर्यटकों की आवक इसी तरह से घटती रही तो जल्दी ही उन्हें अपनी रोजो-रोटी के लिए किसी अन्य साधन के बारे में भी सोचना पड़ेगा वैसे, भारत से विदेशी पर्यटकों का ये दुराव  अनायास नही हो रहा है बल्कि, पिछले कुछ समय से जिस तरह से भारत में विदेशी पर्यटकों, खासकर महिला पर्यटकों के साथ लूटपाट  दुराचार की घटनाएँ बढ़ी हैं, मुख्यतः उसीके कारण भारत में विदेशी पर्यटकों के आने की रफ़्तार साल दर साल घटती जा रही है
अमर उजाला
   अभी कुछ समय पहले देश के विभिन्न शहरों में ट्रैवल ऑपरेटर्स से बातचीत के द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में ये बात सामने आई है कि अधिकाधिक विदेशी सैलानियों द्वारा भारत  आने से हिचकने के पीछे मुख्य कारण सुरक्षा के प्रति अनिश्चिंतता है इस संबंध में बहत्तर फिसदी ट्रैवल ऑपरेटर्स का कहना है कि हर विदेशी पर्यटक के भारत आने की पहली शर्त पुख्ता सुरक्षा होती है और हालिया हालातों में भारत में इस चीज का खासा अभाव दिख रहा है कुछ मामलों पर गौर करें तो पिछले साल जून में दिल्ली के द्वारका में एक ३० वर्षीय विदेशी महिला का सामूहिक बलात्कार व लूटपाट की किया गया सामूहिक दुष्कर्म किया गया । पिछले ही साल जनवरी में दिल्ली में एक ५१ वर्षीय डेनिस महिला के साथ भी लूटपाट व बलात्कार की घटना हुई । इसके अतिरिक्त २०१३ में एमपी के दतिया में विदेशी महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की वारदात ने तो खैर देश को हतप्रभ ही कर दिया था ।
दैनिक जागरण 
कुल मिलाकर तथ्य ये है कि पिछले दो-तीन सालों में विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाले अपराधों में बेतहाशा इजाफा देखने को मिला है जाहिर है कि ऐसी घटनाओं के चलते ही विदेशी पर्यटकों के मन में भारत को लेकर असुरक्षा का भाव घर करता जा रहा है, जिस कारण वे भारत भ्रमण से लगातार अपना मुह मोड़ते जा रहे हैं दरअसल भारत के अधिकांश पर्यटन स्थलों, जैसे दिल्ली, आगरा, मुंबई, एमपी आदि, पर आपराधिक घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है । राजधानी दिल्ली तो खैर दिन ब दिन रेप कैपिटल ही बनती जा रही है । विदेशी पर्यटकों के मन में भारत को लेकर बढ़ रहे असुरक्षा के भाव का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे अब भारत आते ही अपनी सुरक्षा के लिए मिर्च पाउडर रखने से लेकर बॉडीगार्ड रखने तक खुद ही तमाम तरह के इंतजाम करने लगे हैं इन सब बातों से एक ही चीज साफ़ होती है कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था पुलिस के प्रति विदेशी पर्यटकों के मन में पूरी तरह से अविश्वास का भाव चुका है, जो कि सिर्फ हमारे पर्यटन उद्द्योग के लिए हानिकारक है, बल्कि दुनिया में भारत की छवि भी खराब कर रहा है ऐसे में,  हमारे पर्यटन मंत्रालय समेत राज्य सरकारों का ये दायित्व बनता है कि वे इन बातों पर गौर करते हुए हमारे विदेशी सैलानियों की सुरक्षा के लिए कुछ ठोस नीति बनाएं, जिससे कि विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो पर्यटन उद्द्योग को लेकर अत्यंत गंभीर जाने जाते हैं, को भी इस विषय में कुछ ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे कि विदेशी सैलानियों के मन में भारत के उपजी असुरक्षा की ये शंका खत्म हो और वे फिर बढ़-चढ़कर भारत भ्रमण पर आएं साथ ही, देश के नागरिकों का भी ये कर्तव्य है कि वो हमारे विदेशी मेहमानों के प्रति सच्चा आदर भाव रखें और यथासंभव उनकी सहायता रक्षा करने की कोशिश करें क्योंकि, इन विदेशी सैलानियों का सुरक्षित आवागमन सिर्फ भारतीय पर्यटन उद्द्योग और भारतीय अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए आवश्यक है बल्कि दुनिया में भारत की अतिथि देवो भवः की संस्कृति के संरक्षण और प्रसार के लिए भी इसका अपना महत्व है

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